गोरखपुर के बाद अब फर्रुखाबाद के एक सरकारी अस्पताल से ऑक्सीजन की कमी से 49 बच्चों की मौत होने की खबर आ रही है। खबरों के अनुसार यह मौतें जुलाई और अगस्त महीने के दौरान हुई और अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे छिपाने की पूरी कोशिश की। लेकिन जिले के प्रशासनिक अधिकारियों खासकर डीएम रवीन्द्र कुमार की सतर्कता और चुस्ती की वजह से यह मामला सबके सामने आ पाया। फर्रुखाबाद के डीएम रवीन्द्र कुमार ने कार्यवाही करते हुए सीएमओ उमाकान्त पांडे और सीएमए अखिलेश अग्रवाल को हटाकर उनके खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है।
इस घटना में जिन बच्चों की मौत हुई है, उनके परिवार वालों ने डीएम से शिकायत की थी कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो सकती है। डीएम ने एसडीएम को इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे, जिसके रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश बच्चों की मौत पेरीनेटल एस्फिक्सिया (आक्सीजन की कमी) से हुई है।
खबर यह भी है कि मामले की जांच में अस्पताल के दो प्रमुख अधिकारियों चीफ मैडिकल ऑफिसर (सीएमओ) और चीफ मैडिकल सुप्रीटेंडेंनट (सीएमएस) ने लापरवाही और लेड-लतीफी भी की। शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए मुकदमे में सिटी मजिस्ट्रेट जयनेंद्र कुमार जैन ने कहा है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना की। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि जांच अधिकारी ने मृत बच्चों के परिजनों से बात की तो इन लोगों ने बताया कि डाक्टर ने आक्सीजन की नली नहीं लगाई और कोई दवा भी नहीं दी। इससे स्पष्ट है कि अधिकतर शिशुओं की मृत्यु पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन न मिलने के कारण हुई। उन्होंने यह भी कहा है कि डॉक्टरों को यह ज्ञान होना चाहिए कि आक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति न होने पर बच्चों की मौत हो सकी है, यहां भी लापरवाही बरती गयी है।
पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।