Veer Savarkar Punyatithi: हिंदू महासभा के प्रमुख नेता और हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर कई नेताओं ने उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। बता दें कि सावरकर की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री Narendra Modi, गृह मंत्री Amit Shah, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, त्रिपुरा के सीएम Biplab Kumar Deb, शिवसेना सांसद संजय राउत और कई अन्य नेताओं ने उन्हें याद किया है।
Veer Savarkar की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा, ”त्याग और तप की प्रतिमूर्ति महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन। मातृभूमि की सेवा में समर्पित उनका जीवन देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बना रहेगा।”
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने Veer Savarkar की पुण्यतिथि पर ट्वीट किया, ”सावरकर जी एक क्रांतिकारी चिंतक, लेखक, कवि, दूरदर्शी राजनेता होने के साथ-साथ एक महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जीवनपर्यंत अस्पृश्यता, जातिवाद और तुष्टीकरण के विरुद्ध संघर्ष किया। उनका त्याग, तप व संघर्ष वंदनीय है। आजादी के ऐसे महानायक की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में कोटिशः वंदन।”
सोशल मीडिया पर सावरकर की पुण्यतिथि पर उनको याद करते हुए रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने लिखा, ”वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर मैं उन्हें श्रद्धापूर्वक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने बड़े साहसिक तरीक़े से अंग्रेज़ी शासन के ख़िलाफ़ संघर्ष किया और जेल में अनेक यातनायें सहीं। उनका संघर्ष और साहस हर भारतीय को सदैव प्रेरित करता रहेगा।”
Veer Savarkar ने विकसित की थी हिंदुत्व की विचारधारा
विनायक दामोदर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। 1922 में रत्नागिरी में कैद रहते हुए उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा विकसित की थी। बता दें कि सावरकर हिंदू महासभा के प्रमुख सदस्यों में से एक थे।
उन्होंने क्रांतिकारी तरीकों से भारत की पूरी आजादी की बात करने वाली किताबें भी प्रकाशित कीं थीं। 1857 की क्रांति के बारे में उन्होंने जो किताब प्रकाशित की थी, उस पर अंग्रेजों ने प्रतिबंध लगा दिया था।
क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ उनके संबंधों के कारण 1910 में सावरकर को गिरफ्तार किया गया था। साथ ही सावरकर को भारत को सौंप दिया गया था। भारत लौटने पर, सावरकर को कुल पचास साल की कैद की दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेलुलर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
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