Lakhimpur Kheri Case : केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की आज जेल से रिहाई मिलने की खबरें सामने आ रहीं हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत मंजूर कर ली है। जमानत के आदेश में त्रुटिवश हत्या, आपराधिक साजिश की धाराएं नहीं थीं, इसलिए आदेश में संशोधन की अर्जी दाखिल की गई थी। सोमवार को इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान त्रुटि में सुधार कर लिया गया है।लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) मामले के आरोपी आशीष मिश्रा पर आरोप है कि पिछले वर्ष 3 अक्टूबर को कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध मार्च के दौरान लखीमपुर खीरी में किसानों को वाहन से कुचल दिया था।
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Lakhimpur Kheri Case : कोर्ट की इजाजत के बिना प्रदेश न छोड़ने की है शर्त
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को पिछले शुक्रवार जमानत दे दी थी। न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने जमानत के लिए कोर्ट की इजाजत के बिना प्रदेश न छोड़ने की शर्त भी रखी। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि अभियोजन पक्ष की दलीलें मान भी लें, लेकिन ये स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। ऐसे में संभव है कि चालक ने बचने के लिए गाड़ी भगाई ।
इसी दौरान घटना हो गई। याची ने कोर्ट से कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए थे। बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पेश कर सकी जिससे साबित हो कि गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया गया।
Lakhimpur Kheri Case : घटना को साजिश के तहत अंजाम दिया
एसआईटी की ओर से दाखिल चार्जशीट में कहा गया है कि Lakhimpur Kheri में पूरी घटना को एक साजिश के तहत अंजाम दिया गया था। इसमें मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष समेत 13 को पुलिस ने आरोपी बनाया गया है। करीब 5 हजार पन्नों की चार्जशीट 208 गवाह, 17 वैज्ञानिक साक्ष्य, सात भौतिक साक्ष्य और 24 वीडियो फोटो के सहारे लिखी गई है।
क्या है पूरा मामला
पिछले वर्ष 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। आरोप है कि इस दौरान आशीष मिश्रा और उनके साथी किसानों पर फायरिंग करते हुए अपनी गाड़ी से रौंदते हुए निकल गए। इस घटना में चार किसानों और एक स्थानीय पत्रकार समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 4 अक्टूबर को तिकुनिया थाने में आशीष मिश्रा समेत कई अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। हालांकि बाद में एसआईटी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि यह एक हादसा नहीं बल्कि सोची समझी साजिश थी। इसके बाद 10 अक्टूबर को आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई थी।
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