नासा सहित कई रिसर्च सेंटर मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में लगे हैं या उसे इंसानी जीवन के उपयुक्त बनाने की कोशिश में लगे हैं। इस प्रयास में नासा ने एक बड़ी उपलब्धि पाई है। नासा अपने 3 साल के कड़े प्रयास के बाद न्यूक्लियर रिएक्टर्स बनाने में तैयार हो गया है। हांलाकि इसका परीक्षण बाकी है लेकिन अगर इसका परीक्षण सफल हुआ तो वो दिन दूर नहीं जब मंगल पर भी मानव के रहने की व्यवस्था होने लगेगी। इस काम को अमेरिका का उर्जा विभाग और नासा का ग्लेन रिसर्च सेंटर साथ मिलकर कर रहे हैं।
नासा अपने ‘किलोपॉवर’ प्रोजेक्ट के तहत इस परियोजना को अंजाम दे रहा है। इस परियोजना में 80 करोड़ से ज्यादा का खर्च आया है। सितंबर माह में नासा इस रिएक्टर्स को स्टार्ट करेगा। अगर नासा का परीक्षण सफल होता है तो फिर वो इसके आगे का काम जारी रखेगा। अभी इसके डिजाइनिंग और तकनीकी के ऊपर जांच होने है,फिर नासा इसका परीक्षण करेगा। जानकारी के मुताबिक 8 मानवों के लिए 4 रिएक्टर्स की जरूरत पड़ेगी। बता दें कि मंगल ग्रह पर पहुंचने के लिए लगभग 40 किलोवॉट की आवश्यकता पड़ती है।यह ऊर्जा 8 लोगों के एनर्जी के खपत के बराबर है और हर एक रिएक्टर 10 किलोवॉट की ऊर्जा का उत्पादन करेगा।इस ऊर्जा की जरूरत पानी,ईंधन की उत्पत्ति और उपकरणों के बैटरी रिचार्ज करने में होगी।
बता दें कि वैज्ञानिकों का मंगल पर पानी की खोज के बाद मंगल पर ऊर्जा का स्त्रोत जुटाना था। यह कदम इसी मकसद की एक पहल है।जैसा कि हमें मालूम है कि नासा और दूसरी एजेंसियों ने 2030 तक मानव को मंगल ग्रह तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसी के साथ वैज्ञानिक अंतरिक्ष में बच्चे पैदा करने के ऊपर भी काम कर रहे हैं।