Appointment of Vice Chancellor in a University: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 30 राज्यीय विश्वविद्यालय हैं। जिनमें 22 विश्वविद्यालयों में कुलपति अगड़ी जातियों से संबंध रखते हैं। वहीं ओबीसी कुलपतियों की बात की जाए तो इनकी संख्या 6 है और दलित जाति के सिर्फ एक कुलपति हैं। किसी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति (Appointment of Vice Chancellor in a University) सामान्य तरीके से होती है या इसमें कई सियासी पेंच होते हैं? इसका जवाब हम आपको यहां देंगे।
Appointment of Vice Chancellor in a University: कई राज्यों में राज्यपाल करते हैं नियुक्ति
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कुलपित की नियुक्ति से जुड़े जो नियम बनाए हैं वे फिलहाल देश के सबसे बड़े सूबे में लागू नहीं हैं। बताया जाता है कि आज तक यूपी में यूजीसी का कोई नामित प्रतिनिधि नहीं रहा है। दरअसल यह नामित प्रतिनिधि ही इस बात को सुनिश्चित कराता है कि यूजीसी के तय नियम लागू हों।
उत्तर प्रदेश में कुलपति नियुक्त करने की जब बात आती है तो यह काम राज्यपाल करते हैं। कुलपति के मामले में राज्यपाल तीन सदस्यों की सर्च कमेटी बनाते हैं। जो किसी यूनिवर्सिटी के लिए वीसी का चयन करती है। इस कमेटी के सदस्यों की बात की जाए तो इसमें राज्यपाल खुद, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या उनके द्वारा नामित कोई प्रतिनिधि, यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद के सदस्य होते हैं।
ऐसा नहीं है कि कुलपति की वैकेंसी से जुड़ी जानकारी का कोई विज्ञापन नहीं निकलता है। विज्ञापन निकलता है, इसके बाद इंटरव्यू लिए जाते हैं। लेकिन कई बार इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। हालांकि कुलपति के चयन में अहम फैसला राज्य सरकार की ओर से लिया जाता है। राज्य सरकार की सिफारिश को प्राथमिकता देते हुए वीसी नियुक्त किए जाते हैं।
पिछड़ी जातियों और दलित जातियों के वीसी की संख्या कम होने के पीछे एक कारण यह भी है कि विश्वविद्यालयों में आरक्षण सही से लागू नहीं किया जाता है। विश्वविद्यालयों में आरक्षण लागू ठीक से नहीं होने की समस्या सिर्फ राज्यीय नहीं बल्कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी है।
मामले के विशेषज्ञ बताते हैं कि वीसी की नियुक्ति के पीछे राजनीति के चलते आरक्षण को नजरअंदाज कर अपने पसंद के लोगों को सरकारें वीसी पद पर नियुक्त करती हैं।
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