वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) हमारे देश में बहस का विषय बना हुआ है। सरकार से लेकर न्यायपालिका का मानना है कि यौन संबंध बनाने के लिए आपसी सहमती जरूरी है लेकिन शादी के बाद पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने वाले व्यक्ति को दोषी मानने के लिए तैयार नहीं है। मैरिटल रैप (Marital Rape) पर आज दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) सुनवाई कर रहा है। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा की सहमति हमारे समाज में सबसे कम आंकी गई अवधारणाओं में से एक है।
Marital Rape पर राहुल गांधी का ट्वटी
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि सहमति हमारे समाज में सबसे कम आंकी गई अवधारणाओं में से एक है। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे सर्वोपरि रखना चाहिए। #MaritalRape
दिल्ली हाई कोर्ट भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जो एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती संभोग को बलात्कार के अपराध से छूट देता है, बशर्ते पत्नी की उम्र 15 वर्ष से अधिक हो।
याचिकाकर्ताओं में आरआईटी फाउंडेशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन (AIDWA) और वैवाहिक बलात्कार की पीड़िता शामिल हैं। आईपीसी की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार को अपवाद माने जाने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, जिनका उनके पति यौन उत्पीड़न करते हैं।
केंद्र सरकार जबरन बनाए गए संबंध को वैवाहिक बलात्कार मनाने के लिए तैयार नहीं है। केंद्र का कहना है कि मैरिटल रेप को अपराध नहीं करार दिया जा सकता है और ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है। पतियों को सताने के लिए ये एक आसान औजार हो सकता है।”
Marital Rape पर Chhattisgarh High Court का बयान
बता दें कि वैवाहिक बलात्कार पर 26 अगस्त 2021 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा था कि कानूनी रूप से शादी कर चुके दो लोगों के बीच यौन संबंध बनना भले ही जबरदस्ती की गई हो, रेप नहीं कहा जा सकता।
जाहिर है वैवाहिक बलात्कार या फिर कह सकते हैं मैरिटल रेप (Marital Rape), सुनने में थोड़ा अजीब लगता है वैवाहिक रेप क्या होता है? शादी के बाद पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने को वैवाहिक रेप कहते हैं। संविधान के अनुच्छेद (Articles) 19, 20, 21A और 22 में स्वतंत्रता का अधिकार है। पर इस बात को कुछ लोग महज कागजी समझते हैं और किसी भी लिंग पर अपना अधिकार जमाने लगाते हैं। यह कानून ना कहने की भी आजादी देता है। चाहे वो पति के साथ यौन संबंध बनाना ही क्यों न हो। अगर पति के साथ यौन संबंध बनाने का मन नहीं है तो महिला ना कह सकती है।
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