बहुप्रतीक्षित गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स यानि जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू होने पर अनाज, टूथपेस्ट, हेयर ऑयल, साबुन और कोयला जैसी वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं। रोजमर्रा की जरूरत की चीजें सस्ती होने से न सिर्फ आम लोगों को राहत मिलेगी बल्कि कोयले के सस्ता होने से बिजली उत्पादन की लागत भी कम होगी। इसके उलट सोना, चांदी और महंगी कारें जैसी अमीरों के इस्तेमाल की वस्तुएं जीएसटी लागू होने पर महंगी हो सकती हैं। श्रीनगर में हो रही जीएसटी काउंसिल की 14वीं बैठक में ये फैसले लिए गए। लेकिन सवाल यह उठ रहे है कि GST लागू होने के बाद जो खामियां सामने आएँगी उससे निपटने के लिए क्या कुछ तैयारियां की गई हैं?
शुक्रवार 19 मई को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में GST के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन), सुरेन्द्र राजपूत (प्रवक्ता यूपी कांग्रेस), उम्मेद सिंह (प्रवक्ता बसपा), व बालेश्वर त्यागी (नेता बीजेपी) उपस्थित थे।
गोविंद पंत राजू ने कहा कि जिस तरह से एक जुलाई से जीएसटी लागू करने की बात है उससे व्यवसायियों,उपभोक्ताओं के साथ सरकार को भी लाभ होगा। इससे कहा जा रहा है कुल मिलाकर महंगाई कम होगी। कई ऐसे सेक्टर हैं जिनको यह भय है कि उनके उद्योग या कारोबार पर इसका ज्यादा असर होगा। उन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा लेकिन ये सब आशंकाए हैं। जम्मू-कश्मीर की सरकार से जुड़े जो लोग हैं उनका कहना है कि हमें पहले से ज्यादा मिलेगा।
सुरेन्द्र राजपूत ने कहा कि जीएसटी जो लागू किया जा रहा है उसका स्वागत किया जाना चाहिए। इससे जुडी कुछ बातें वित्त मंत्री अरुण जेटली कह रहे हैं वह शायद न्याय संगत नही हैं। जैसे उन्होने कहा गेहूं, चावल सस्ते हो जायेंगे। उत्तर प्रदेश में गेहूं पर भी कोई टैक्स नही है और चावल पर भी टैक्स नही है। ऐसे में कस्टम और एक्साइज के इंस्पेक्टर को छोटे दुकानों में घुसने का लाइसेंस प्राप्त हो जायेगा।
उम्मेद सिंह ने कहा कि भाजपा कहती कुछ और है और करती कुछ और है। जो लागू कर रही है उसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन उसको अच्छी तरह से लागू करें। क्योंकि बीजेपी ने आज तक जो भी काम किया वो सही तरीके से लागू नही कर पायी।
बालेश्वर त्यागी ने कहा कि पहली जुलाई से पहले बातचीत के बहुत दौर होने वाले हैं। सभी प्रदेशों के वित्तमंत्री इस बैठक में शामिल होंगे। जितनी विसंगतियां है उन पर विचार किया जायेगा। विसंगतिया बहुत सारी होती हैं। सारी विसंगतिया पहले दिन से दूर नही की जा सकती हैं। बीजेपी की पहली प्राथमिकता यह है कि समाज के जो निचले तबके के लोग हैं उनको सबसे ज्यादा लाभ मिले।
कैसे रहे योगी सरकार के 60 दिन!
इसके दूसरे हिस्से में यूपी की योगी सरकार पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू, सुरेन्द्र राजपूत, आनंद लाल बनर्जी (पूर्व डीजीपी यूपी), बालेश्वर त्यागी व उम्मेद सिंह उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कार्यकाल को आज 60 दिन पूरे हो गए। दो महीने में योगी सरकार ने दर्जनों फैसले लिए हैं जिनकी यूपी ही नहीं देश भर में प्रशंसा हुई। हालांकि इन फैसलों में कितने धरातल पर दिखे और कितने महज कागजों में सिमट कर रह गए यह एक अलग बात है। खासकर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार सदन से लेकर सड़क तक घिरती नजर आ रही है। यूपी के चुनावों में कानून-व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा था और जनता ने योगी आदित्यनाथ को प्रचंड बहुमत देकर बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। लिहाजा लोगों के इस भरोसे को कायम रखने के लिए सरकार को बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे और जल्द उठाने होंगे क्योंकि जनता ने बीजेपी को इतनी बड़ी बहुमत से जिताया उसकी एक वजह बदहाल कानून व्यवस्था भी थी।
गोविंद पंत राजू ने कहा कि सरकार का संकल्प नही दिखाई दे रहा है कि वो कानून व्यवस्था को लेकर किस हद तक गम्भीर है और किस हद तक वो जनता के लिए अपने आपको जवाबदेह मानती है। ये सरकार निहायत अनुभवहीन सरकार है और दुर्भाग्य ये है कि केन्द्र से भी इस तरह का सहयोग नही मिल पा रहा कि वो सरकार को प्रेरित करें।
आनंद लाल बनर्जी ने कहा कि कानून व्यवस्था एक राजनीतिक समस्या नही है लेकिन इसको राजनीतिक समस्या की तरह ही माना जाता है। आप क्षेत्रिय पुलिस पर दबाव मत डालिए उनको समय दीजिए। आज उत्तर प्रदेश में बहुत काबिल अधिकारी हैं वो निश्चित तौर पर कोई ना कोई समाधान निकाल लेंगे सिर्फ उनको मौका देने की बात है।
बालेश्वर त्यागी ने कहा कि आज प्रदेश में लोगों को ये विश्वास जगा है कि जनता की समस्याओं को गम्भीरता के साथ लेकर उनके समाधान तक पहुंचाने के लिए सरकार संकल्पकृत है। खराब हो चुकी कानून व्यवस्था में परिवर्तन के लिए कुछ समय लगेगा। मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि किसी भी अपराधी को राजनीतिक संरक्षण नही मिलेगा। किसी अधिकारी के साथ पक्षपात नही होगा।
सुरेन्द्र राजपूत ने कहा कि राजनैतिक नेतृत्व राजनैतिक बात करता है और प्रशासनिक नेतृत्व प्रशासनिक बात करता है। राजनैतिक नेतृत्व जब पूरे विश्वास में लेकर कहता हैं कि हमारे आते ही 24 घंटे में राम राज्य हो जायेगा। वहां पर प्रशासन पर भी दबाव पड़ता है और राजनैतिक नेतृत्व पर भी दबाव पड़ता है।