केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से कई योजनाएं शुरू हो चुकी हैं। सरकार अपने तीन साल का कार्यकाल भी पूरा कर चुकी है। इन तीन सालों और इससे पहले की सरकार में जो एक मुद्दा छाया रहा या यूँ कहें सबसे ज्यादा दोहराया गया वह था युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा। मोदी सरकार के आने के बाद युवाओं को स्वरोजगार के मौके उपलब्ध कराने के लिए स्टार्टअप इंडिया योजना भी शुरू की गई। इस योजना का लाभ भी लोगों को मिल रहा है लेकिन हाल फ़िलहाल दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी आईबीएम की तरफ से जारी किये गए स्टार्टअप के आंकड़े सरकार के साथ नए स्टार्टअप के बारे में सोच रहे युवाओं को अपने फैसले की समीक्षा के लिए मजबूर कर सकते हैं।

आइबीएम की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में शुरू होने वाले 90 फ़ीसदी स्टार्टअप पांच वर्ष के अन्दर बंद कर दिए जाते हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में युवाओं को स्टार्टअप शुरू और बंद करने के दौरान दोनों ही हालातों में फंड की कमी से जूझना पड़ रहा है। जबकि दुनिया की सफल स्टार्टअप इको सिस्टम में ऐसा नहीं होता और उन्हें इंवेस्टर्स से हर कदम पर समर्थन मिलता है।

आईबीएम भारत और दक्षिण एशिया के मुख्य डिजिटल अधिकारी निपुन मेहरोत्रा ने एक बयान में इस सर्वे के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमारा मानना है कि स्टार्टअप को स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, शिक्षा, परिवहन, वैकल्पिक ऊर्जा प्रबंधन और अन्य सामाजिक समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है, जो कि उन मुद्दों से निपटने में मदद करेगी जिसका भारत समेत पुरी दुनिया सामना कर रही है।

कुल मिलाकर अगर इस रिपोर्ट के बारे में देखें तो हम पायेंगे कि स्टार्टअप शुरू कर रहे भारतीय युवा अपने स्टार्टअप या प्लानिंग के लिए दुनिया भर की मांग और योजना को प्राथमिकता देते हैं। जबकि भारतीय बाज़ार वैश्विक बाज़ार से बिलकुल अलग है। आज भी यहाँ स्वास्थ,शिक्षा, परिवहन इत्यादि बुनियादी जरूरतें लोगों की प्राथमिकता है। ऐसे में दुनिया के बाज़ार और अन्य देशों की योजनाओं को भारत में प्रयोग करना स्टार्टअप शुरू करने वालों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। इस रिपोर्ट में जो दूसरी बात निकल कर सामने आई है उसके अनुसार भारत में स्टार्टअप शुरू कर रहे युवाओं के पास अनुभव,सही मार्गदर्शन और लम्बे समय के लिए की गई तैयारी की कमी भी देखने को मिली है।

यह रिपोर्ट मोदी सरकार की स्टार्टअप इंडिया योजना के साथ वैसे युवाओं के लिए भी खतरे की घंटी है जो नए स्टार्टअप के बारे में सोच रहे हैं। या इन्हें सफल बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार और नए उद्यमियों को इस पर पुनः विचार करने और अपनी नीति में बदलाव के साथ सुधार करने की जरुरत है।  तभी ऐसी योजनाओं का लाभ सही मायनों में मिल पायेगा।

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