पिछले 8 दिन से देश के सबसे बड़े कोर्ट में इस दौर के सबसे बड़े मुद्दे पर रोजाना सुनवाई हो रही थी। देश के सबसे गंभीर मसले तीन तलाक पर सुप्रीम सुनवाई पूरी हो चुकी है। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा है। आज की सुनवाई की शुरुआत पिटीशनर साइड से हुई, उन्होंने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक नहीं है क्योंकि कुरान में कहीं भी इसका जिक्र नहीं है। उन्होंने बताया कि तीन तलाक को एक भ्रष्ट तरीके से इस्तेमाल किया जाता है और इसका फायदा धर्म के ठेकेदार अपनी प्रमुख्ता दिखाने और बचाने के लिए उठाते हैं।
इसके जवाब में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल ने इस तर्क को गलत ठहराते हुए कहा कि जो चीज पिछले 1400 साल से चली आ रही उसे आप 6 दिन में खत्म करके कह देंगे कि ये चीज थी ही नहीं तो यह भी गलत है। उन्होंने कहा कि अगर यह इस्लामिक नहीं है तो 1400 साल से यह परंपरा कैसे चली आ रही है।
अंत में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की तरफ से एक बात कही गयी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सेक्लुर कोर्ट को बीच में आना चाहिए और मौलिक व धार्मिक बंधनों से इस्लाम को बचाना चाहिए और सिर्फ कुरान के अनुसार ही अपनी बात रखनी चाहिए। इसके अलावा और किसी को कोई जगह नहीं देनी चाहिए।
आपको बता दें कि 11 मई से तीन तलाक के मसलें पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हो रही थी। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा था कि कोर्ट तीन तलाक पर समीक्षा करेगी कि वह इस्लाम को मूल हिस्सा है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभी तीन तलाक और हलाला पर सुनवाई की जाएगी, बहुविवाह पर सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए मुख्यत: दो बिंदु निर्धारित किए थे। पहला सुप्रीम कोर्ट इस बात पर भी सुनवाई करेगी कि क्या तीन तलाक मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, वहीं दूसरा यह कि क्या तीन तलाक को पवित्र माना जा सकता है।