प्रधानमंत्री Narendra Modi शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के कच्छ में Gurudwara Lakhpat Sahib में गुरुपर्व समारोह में शामिल हुए। समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है। मुझे याद आ रहा है कि लखपत साहिब ने कैसे-कैसे झंझावातों को देखा है। एक समय यह स्थान दूसरे देशों में जाने और व्यापार के लिए प्रमुख स्थान होता था।
Gurudwara Lakhpat Sahib में गुरुपर्व समारोह में PM ने कहा, ”हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है। बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है।”
लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ”अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं। कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं।”
Gurudwara Lakhpat Sahib गौरव के साथ खड़ा है
प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन के दौरान कहा, ”1998 के समुद्री तुफ़ान से इस जगह को, गुरुद्वारा लखपत साहिब को काफ़ी नुकसान हुआ और 2001 के भूकंप को गुरुद्वारा साहिब की 200 साल पुरानी इमारत को बड़ी क्षति पहुंचाई थी। लेकिन फिर भी गुरुद्वारा लखपत साहिब उसी गौरव के साथ खड़ा है।”
गुरु तेग बहादुर और गुरुगोबिन्द सिंह साहिब को याद करते हुए उन्होंने कहा, ”औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है। इसी तरह दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है।”
सिख समुदाय की वीरता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ”अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों-बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आज़ादी का संग्राम, जलियांवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है।”
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