उत्तरप्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए उठाये गए एक महत्वपूर्ण कदम के तहत राज्य की योगी सरकार ने अब बाहुबली और अपराधी नेताओं पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। योगी सरकार ने अपने एक आदेश में कहा है कि जेल में बंद बाहुबली नेताओं को उनके गृह जनपद की जेल से दूसरी जगह भेजा जायेगा। इसके अलावा जो लोग बीमारी के नाम पर जेल से अस्पताल पहुंच गए हैं उनकी दोबारा स्वास्थ जांच कराई जायेगी। अगर जांच में ऐसे नेताओं का स्वास्थ ठीक रहा तो उन्हें वापस जेल भेजा जायेगा। इस फैसले को जेल और अस्पताल से संचालित आपराधिक घटनाओं को रोकने से जोड़ कर देखा जा रहा है।
इस फैसले की जानकारी देते हुए अपर पुलिस महानिदेशक (जेल) जीएल मीणा ने कहा कि कई बाहुबली सलाखों के पीछे हैं लेकिन उनके गिरोह के लोग हत्या, अपहरण, डकैती और रंगदारी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। इन्ही बातों को देखते हुए ऐसे 100 के करीब लोगों को दूसरे जनपद की जेलों में भेजा जायेगा। इन बाहुबलियों में अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, शेखर तिवारी, मुकीम उर्फ काला, मौलाना अनवारूल हक, उदयभान सिंह उर्फ डॉक्टर, टीटू उर्फ किरनपाल, राकी उर्फ काकी और आलम सिंह जैसे नाम शामिल हैं। मीणा ने यह भी कहा कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती बाहुबलियों की भी स्वास्थ रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट प्राप्त होने पर इन्हें भी जेल भेजा जायेगा।
गौरतलब है कि राज्य के कई नेता और बाहुबली जेलों में बंद हैं। उनपर कई गम्भीर अपराधों में मुक़दमे दर्ज है। ऐसे कई बाहुबली बीमारी का बहाना बना अस्पतालों में आराम से रह रहे हैं। इस फैसले के बाद इन नेताओं पर क़ानूनी शिकंजा कस सकता है और इन्हें जेल जाना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान ऐसे नेताओं को लेकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि कि उत्तर प्रदेश की जेलें अपराधियों के लिए महल बन गयी हैं। उन्हें हर तरह की सुविधा मिलती है। मोदी ने कहा कि गैंगस्टरों को मुस्कुराते हुए फोटो सेशन कराते देखा जा सकता है। इसके बाद से ही ऐसे नेताओं पर शिकंजा कसने की बात होने लगी थी। बाद में योगी सरकार के आने के बाद यह आशंका और प्रबल हो गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 30 मार्च को कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए पुलिस एवं कारागार अधिकारियों को ऐसे अपराधिक छवि के नेताओं पर कारवाई के आदेश जारी किये थे।