झारखंड ATS ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक जवान को गिरफ्तार किया है। जिसके नक्सलियों से सीधे संबंध बताये जा रहे हैं। आरोप है कि गिरफ्तार किया गया जवान नक्सलियों को अत्याधुनिक हथियारों की सफ्लाई भी करता था।
ATS ने बड़ी कार्यवाही करते हुए नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने के आरोप में सीआरपीएफ जवान समेत कुल तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार CRPF का जवान इस समय जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में तैनात था।
गिरफ्तार CRPF जवान ने स्वीकार किया हथियारों की सप्लाई का आरोप
ATS एसपी प्रशांत आनंद ने जवान की गिरफ्तारी की सूचना देते हुए बताया कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में तैनात CRPF के एक जवान अविनाश कुमार ऊर्फ चुन्नू को गिरफ्तार किया गया है। उसके साथ अन्य दो लोगों को भी पकड़ा गया है। जिन्होंने स्वीकार किया है कि नक्सलियों को अत्याधुनिक AK-47 जैसे हथियार उन्होंने पैसे के लालच में सप्लाई की।
अरेस्ट किया गया जवान अविनाश कुमार बिहार का रहने वाला है। इसके साथ दो अन्य लोगों में से एक पटना का है, जिसका नाम ऋषि कुमार है। वहीं दूसरे का नाम पंकज कुमार है और वह मुजफ्फरपुर का रहने वाला है। गिरफ्तार जवान अविनाश कुमार सीआरपीएफ के 182वीं बटालियन में कांस्टेबल के पद पर तैनात था।
उसकी ड्यूटी पुलवामा में थी लेकिन वह पिछले 4 महीने से अपनी ड्यूटी पर गया ही नहीं था। करीब एक दशक पहले 24 अगस्त 2011 को बिहार के मोकामा ग्रुप सेंटर से उसको सीआरपीएफ में भर्ती किया गया था। पुलवामा में 182वीं बटालियन की तैनाती से पहले वह सीआरपीएफ की 112वीं बटालियन में झारखंड के लातेहार और 204वीं बटालियन में छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में भी तैनात रहा।
पकडा गया ऋषि कुमार रांची के हटिया में ट्रांसपोर्टेशन और भवन निर्माण का कार्य करता था
हथियार सप्लाई के आरोप में पकड़े गये पटना के ऋषि कुमार के बारे में ATS एसपी प्रशांत ने बताया कि वह रांची के हटिया में ट्रांसपोर्टेशन और एयरपोर्ट रोड में भवन निर्माण का कार्य करता था। इसी दौरान वह उन लोगों के संपर्क में आया जो माओवादियों को हथियार और कारतूस की सप्लाई करते थे और उन्हीं के साथ वह अपराध की दुनिया में चला गया।
एक अन्य आरोपी पंकज सिंह के बारे में बात करते हुए एसपी प्रशांत ने बताया कि पंकज सिंह मूलतः मुजफ्फरपुर का रहने वाला है लेकिन धनबाद के भूली में कोयला और जमीन का कारोबार करता है। ये तीनों झारखंड और बिहार के अलावा असम और नागालैंड में हथियार और कारतूस कारोबारियों के संपर्क में रहते थे और इन्हीं के माध्यम से नक्सलियों को अत्याधुनिक हथियार और कारतूस मिला करते थे।
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