भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे बीआर गवई अपने पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसी बीच सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत ने देश के 53वें CJI के रूप में शपथ लेकर कार्यभार संभाल लिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। लेकिन समारोह के बाद जो हुआ, उसने पूर्व CJI गवई को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।
दरअसल, शपथ ग्रहण कार्यक्रम समाप्त होने के बाद पूर्व CJI बीआर गवई ने अपने लिए उपलब्ध सरकारी कार छोड़ दी और निजी वाहन से वहां से रवाना हो गए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी जमकर प्रशंसा हो रही है।
गवई को ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी?
बीआर गवई ने अपने व्यवहार से एक अद्भुत उदाहरण पेश किया। जैसे ही जस्टिस सूर्यकांत ने चीफ जस्टिस का पद संभाला, वैसे ही गवई ने यह सुनिश्चित किया कि सरकारी मर्सिडीज-बेंज, जो CJI के लिए निर्धारित होती है, उसी समय से उनके उत्तराधिकारी के उपयोग में आ सके। इसलिए उन्होंने आधिकारिक वाहन का उपयोग न करते हुए एक अन्य कार से घर लौटने का फैसला किया। उनके इस कदम को शासन व्यवस्था में शिष्टाचार और अनुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण माना जा रहा है।
जस्टिस सूर्यकांत कितने समय तक रहेंगे CJI?
जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के नए प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया। उन्हें 30 अक्टूबर को 53वें CJI के तौर पर नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल लगभग 15 महीनों का होगा और वह 9 फरवरी 2027 को 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त होंगे।
कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक सामान्य परिवार में हुआ। छोटे शहर से वकालत शुरू करने वाले सूर्यकांत अपनी मेहनत और दक्षता के दम पर देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी तक पहुंचे हैं। उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान हासिल किया, जो उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता को दर्शाता है।









