एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में एंटी रोमियो दल का गठन किया जा रहा है तो वहीं छेड़खानी से जुड़ी वारदातें रूकने का नाम नहीं ले रही है। अभी हाल ही में गेंगरेप पीड़िता को चलती ट्रैन में एसिड पिलाने के मामले से पूरे यूपी में हंगामा मच गया था तो इस बार पुलिस की लापरवाही ने एक पीड़िता को खुदकुशी करने पर मजबूर कर दिया।
दरअसल, कौशांबी में बीए में पढ़ने वाली एक छात्रा ने अपने साथ होने वाली छेड़खानी के बारे में पुलिस को बताया तो पुलिस ने आरोपियों पर कार्यवाही करने की बजाय छात्रा के भाईयों के खिलाफ ही छेड़खानी और मारपीट का आरोप लगाकर मुकादमा दर्ज कर लिया। जिससे परेशान आकर छात्रा ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। इस घटना के बाद नई-नवेली यूपी सरकार पर कई सवाल खड़े होते दिखाई दे रहे है।
गौरतलब है कि रचना नाम की एक छात्रा 23 मार्च को परीक्षा देने के लिए अपने घर से निकली थी। परीक्षा देने के बाद वह जब घर लौट रही थी तब शेरपुर के रहने वाले आशिष यादव और जीतेंद्र यादव रचना के साथ छेड़खानी करने लगे। इस घटना की जानकारी रचना ने अपने भाईयों और चाचा देवेंद्र सिंह को दी। जिसके बाद देवेंद्र सिंह ने फोन करके मकदूमपुर पुलिस चौकी के इंचार्ज राकेश शर्मा को बताया लेकिन इसके बाद भी आरोपियों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की गई। 24 मार्च को रचना जब अपने भाई के साथ परीक्षा देने निकली तो आरोपियों ने उन्हें घेर लिया और वह फिर रचना के साथ छेड़खानी करने लगे। इस घटना को शिकायत दर्ज कराने के लिए रचना और उसका भाई पिपरी थाने पहुंचे। आरोपियों के खिलाफ मुकादमा दर्ज करने की बजाय पुलिस खुद आरोपियों के कहने पर रचना के भाई आलोक और शिवपूजन के ही खिलाफ छेड़खानी और मारपीट को मुकादमा दर्ज कर लिया।
रचना पर इस बात का गहरा असर पड़ा और उसने अपनी जान दे दी। वारदात के बाद इलाहाबाद और कौशांबी के बड़े अधिकारी रचना के घर पहुंचे। जिले के एसपी, एसएसपी और सीओ ने खुद इस मामले की जांच की। एसपी वीरेंद्र कुमार मिश्रा ने एडिश्नल एसपी आशुतोष को पूरा मामला सौंपा। पिपरी थाने के इस्पेंक्टर भास्कर मिश्रा और दरोगा को सस्पेंड कर दिया गया।