Adani-Hindenburg Case : क्या है अडानी-हिंडनबर्ग मामला जिसके चक्कर में अडानी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा?

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अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। जिसमें शीर्ष अदालत ने सेबी (SEBI) को जांच करने के लिए 3 महीने का समय दिया है। 24 जनवरी 2023 को शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी ने अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिक की थी, जिसमें शेयरों के भाव को धोखाधड़ी से बढ़ाने के आरोप लगाए गए थे। वहीं दूसरी ओर अडानी समूह ने इस रिपेार्ट को गलत और झूठा बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिए फैसले में आज (बुधवार) यह भी कहा है कि सीबीआई को यह केस सौंपने का कोई आधार नहीं है।  

बता दें कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई। बीते वर्ष सुप्रीम कोर्ट (2 मार्च 2023) ने सेबी को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच का आदेश दिया था। आइए जानते हैं आखिर क्या है अडानी-हिंडनबर्ग केस।

क्या है पूरा अडानी-हिंडनबर्ग मामला ?

साल 2023 के जनवरी के महीने में हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया था कि शेल कंपनियों के जरिए अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के भाव में गड़बड़ी की जा रही थी। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि अडानी ग्रुप के शेयर्स नॉर्मल भाव से 85 प्रतिशत अधिक मूल्यांकित थे।

इसके अलावा, अडानी समूह पर यह भी आरोप लगे थे कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI), जोकि शेयरों में पैसा लगाती है, उसके अडानी ग्रुप से जुड़े होने की बात कही गई थी। इसके साथ ही अडानी ग्रुप पर कर्ज और मैनेजमेंट समेत कई अन्य मुद्दों पर भी सवाल खड़े हुए थे।

क्या था अडानी ग्रुप का जवाब?

हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को अडानी ग्रुप ने सिरे से नकार दिया था। हालांकि, इन आरोपों के बाद शेयर मार्केट में, अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के भाव अर्श से फर्श पर आ गए थे। जिसके चलते अडानी ग्रुप को तो नुकसान हुआ ही साथ ही शेयर बाजार में भी कई निवेशकों के पैसे फंस गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अडानी समूह के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) जुगेशिंदर सिंह ने हिंडनबर्ग के आरोपों के जवाब में कहा था, “रिपोर्ट में इस्तेमाल तथ्यात्मक आंकड़े प्राप्त करने के लिए समूह से कोई संपर्क नहीं किया गया। यह रिपोर्ट गलत सूचनाओं, निराधार और बदनाम करने की मंशा से किया गया एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है।” इसके साथ ही अडानी समूह के लीगल प्रमुख जतिन जलुंढ़वाला ने हिंडनबर्ग पर आरोप लगाते हुए कहा था, ‘शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग को अदाणी समूह के शेयरों में आने वाली गिरावट से फायदा होगा।’   

बता दें कि हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद जब अडानी समूह ने उन्हें लीगल एक्शन की वार्निंग दी थी तो रिसर्च कंपनी ने कहा था कि वह अडानी ग्रुप के द्वारा दी गई लीगल एक्शन की धमकियों का स्वागत करेगी। तब हिंडनबर्ग ने कहा था, “वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह से कायम है। अगर अडानी ग्रुप गंभीर है तो उन्हें अमेरिका में भी केस दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं। हमारे पास कानूनी जांच प्रक्रिया में मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी लिस्ट है।”

हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता पर भी उठे सवाल!

अडानी ग्रुप के बाद हिंडनबर्ग पर खुद सवालिया निशान खड़े हो गए थे। फोर्ब्स मैगजीन की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि अमेरिकी न्याय विभाग ने कई शॉर्ट-सेलिंग इनवेस्टमेंट और रिसर्च कंपनियों की जिसमें हिंडनबर्ग का नाम भी शामिल था। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्याय विभाग ने साल 2021 में करीब 30 शॉर्ट-सेलिंग कंपनियों के साथ-साथ उनसे जुड़े 36 लोगों के बारे में जानकारी जुटाई थी। बता दें कि हिंडनबर्ग और उसके जैसी शॉर्ट-सेलर्स रिसर्च कंपनियों पर जांच चल रही थी कि क्या कुछ शॉर्ट-सेलर्स कंपनियों ने गलत रिसर्च रिपोर्ट जारी करके शेयर की की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी।

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