Election 2023: देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और जिसमें से चार राज्यों में वोटिंग हो गई है। गुरुवार को तेलंगाना में मतदान होना अभी बाकी है और 3 दिसंबर को इसके नतीजे सामने आएंगे। उससे पहले ही एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मंगलवार को एक एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पांचों राज्यों में चुनाव लड़ने वाले करीब 29 प्रतिशत उम्मीदवार ‘करोड़पति’ हैं जबकि 18 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले है।
Election 2023: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी कर दी है। ADR ने मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव में 8,054 उम्मीदवारों में से 8,051 के हलफनामों (स्व-घोषित शपथ पत्र) की जांच की है। जाचं में 8,051 उम्मीदवारों में से 2,117 राष्ट्रीय पार्टियों से है जबकि 537 क्षेत्रियों दलों से, 2,051 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों से और 3,346 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
12 प्रतिशत उम्मीदवारों पर गंभीर केस
रिपोर्ट के मुताबिक, 1,452 उम्मीदवारों (18%) के खिलाफ आपराधिक मामले सामने आए है जबकि 959 (12 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 22 उम्मीदवारों ने ने अपने खिलाफ हत्या से संबंधित मामले, 82 उम्मीदवारों ने हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित किए हैं और 107 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले घोषित किए हैं। इसमें कहा गया है कि 2,371 (29 प्रतिशत) उम्मीदवार करोड़पति हैं यानि की ऐसे उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3.36 करोड़ रुपये है।
सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश का पालन नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है जिन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
राजनीतिक दलों ने किया आपराधिक उम्मीदवारों का बचाव
सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 को अपने निर्देशों में राजनीतिक दलों को जब ऐसे उम्मीदवारों के चयन के लिए कारण बताने का निर्देश दिया था और पूछा था कि बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को चुनावी उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है? तब यह भी देखा गया कि राजनीतिक दलों ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों का खुलकर बचाव भी किया था। राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने से पहले ही उनकी लोकप्रियता और सामाजिक कार्य गिनाए और आपराधिक मामलों को राजनीति से प्रेरित बताकर उनका बचाव भा किया था।
पार्टियों को चुनाव सुधार में नहीं है दिलचस्पी
यह डेटा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि राजनीतिक दलों को चुनावी प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और इस तरह हमारा लोकतंत्र कानून तोड़ने वालों के हाथों में चला जाता है और वो हमारे कानून निर्माता बन जाते हैं।
ADR ने यह भी बताया है कि छत्तीसगढ़ के तीन उम्मीदवारों के शपथ पत्र स्पष्ट नहीं होने के कारण उनका विश्लेषण नहीं किया जा सका है।
