AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने विजयदशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए उनके भाषण के लिए जमकर हमला बोला। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हमेशा की तरह, आरएसएस के मोहन का आज का भाषण झूठ और अर्धसत्य से भरा था। उन्होंने जनसंख्या नीति का आह्वान किया और इस झूठ को दोहराया कि मुस्लिम और ईसाई आबादी में वृद्धि हुई है। मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे तेज गिरावट आई है। कोई ‘जनसांख्यिकीय असंतुलन’ नहीं है’। मोहन ने यह भी कहा कि कश्मीर में लोग “अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का लाभ उठा रहे हैं”। इस वर्ष में 29 नागरिकों की हत्याओं के साथ? इंटरनेट शटडाउन और सामूहिक हिरासत के साथ? भारत की उच्चतम बेरोजगारी दर 21.6 % जम्मू-कश्मीर में है।’
‘मोहन ने फिर एनआरसी की मांग की’
उन्होंने आगे कहा, ‘मोहन ने फिर एनआरसी की मांग की। NRC और कुछ नहीं बल्कि नागरिकों की भारतीयता पर संदेह करने और उन्हें परेशान करने का एक हथियार है। एक सरकार जिसके पास ऑक्सीजन से होने वाली मौतों, फ्रंटलाइन वर्कर्स की मौत, प्रवासी श्रमिकों की मौत या किसान आत्महत्याओं की गिनती नहीं है, वह सोचती है कि यह 1.37 बिलियन भारतीयों की नागरिकता को “सत्यापित” करेगी।’
ओवैसी ने कहा, ‘मोदी चीनी सैनिकों को लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल और उत्तराखंड में आने से रोकने में विफल रहे। उस झूठे राष्ट्रवाद के बावजूद, मोहन ने इस बारे में एक शब्द भी नहीं कहा कि हमारे बहादुर जवानों के साथ चीनी कैसा व्यवहार करते हैं। इतना डर क्यों?’
‘अशफाकउल्लाह और राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती को किसने खत्म किया’
AIMIM प्रमुख ने कहा, ‘भागवत ने अशफाकउल्लाह खान जैसे मुस्लिम देशभक्तों का उल्लेख किया जिन्होंने तथाकथित मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ हिंदू राजाओं की सेनाओं में लड़ाई लड़ी थी। अशफाकउल्लाह और राम प्रसाद बिस्मिल बहुत अच्छे दोस्त थे। पितृभूमि और पुण्यभूमि के नाम पर ऐसी मित्रता को किसने नष्ट किया? मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों का रिकॉर्ड ऐसा है कि मोहन भी उनकी तारीफ करने को मजबूर हैं। आरएसएस और उसके विचारकों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। वे हमेशा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और कायरता के प्रतीक थे। सावरकर ने युद्ध के दौरान मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बलात्कार की वकालत की ।’
‘समाज को RSS और गांधी में से एक को चुनना चाहिए’
उन्होंने कहा, ‘आरएसएस ऐसे समाज में एक साथ नहीं रह सकता जो आर्थिक रूप से प्रगति करना चाहता है। समाज को आरएसएस की कायरता और अशफाकउल्लाह खान की बहादुरी के बीच चयन करना चाहिए। RSS का भारत के साथ विश्वासघात और गांधी की देशभक्ति के बीच चयन करना चाहिए। मौलाना आजाद की बुद्धि और शिक्षा और आरएसएस की विचारधारा के बीच चयन करना चाहिए। समाज को असमानता के लिए आरएसएस के प्यार और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लिए अंबेडकर की इच्छा के बीच चयन करना चाहिए।’