Tunisia के राष्ट्रपति Kais Saied ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री को नामित किया। राष्ट्रपति ने इंजीनियरिंग की प्रोफ़ेसर 63 साल की Najla Bouden Romdhane को इस पद के लिए चुना है। मुस्लिम देशों में पहली बार किसी महिला को देश की कमान दी गई है। बता दें कि इन देशों में महिलाओं के पास कोई अधिकार नहीं है, उनका नेतृत्व हमेशा पुरुषों ने किया।
उत्तरी अफ्रीका का देश ट्यूनीशिया गरीब देशों में गिना जाता है और संकटों से जूझ रहा है। करीब 10 साल पहले यहां के राजा तानाशाह जीन अल अबिदीन बेन अली को सत्ता से बेदखल कर दिया था, जिसके बाद लोकतांत्रिक बदलाव हुए। आए दिन ट्यूनीशिया में विरोध प्रदर्शन होते रहते हैं, लोग गरीबी और नौकरियों की कमी से जुझ रहे हैं। भ्रष्टाचार फैला है और लोगों में निराशा फैली हुई है। राजनीतिक पटल पर देश लंबे समय से उथल-पुथल से जूझ रहा है। गिरती अर्थव्यवस्था से देश बेहाल है और 10 सालों में ट्यूनीशिया में 12 बार सरकार बदल चुकी है।
अरब देशों में महिलाओं की स्थिति
कुछ अरब देश अब महिलाओं को अवसर दे रहे हैं, इसके पीछे कारण यह है कि कर्मचारियों और मजदूरों को लेकर अरब देश आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। सऊदी अरब ने 2030 तक 30 फीसदी महिला कर्मचारियों को रखने का लक्ष्य रखा है। कुवैत में महिला कर्मचारी सर्वाधिक हैं तो वहीं खाड़ी में महिलाएं उच्च शिक्षित हैं। खाड़ी क्षेत्र (GCC) में महिलाओं की स्थिति बेहतर है और महिलाएं सरकार में रहकर राजनीतिक फैसले लेती हैं। वहीं मिडिल ईस्ट में महिलाएं सामाजिक और कानूनी प्रतिबंधों का सामना कर रही हैं। माना जाता है कि खाड़ी देशों में 1930 में हुई तेल की खोज, महिलाओं की स्थिति के सुधार के पीछे बड़ा कारण है। पश्चिमी देशों के प्रभाव के कारण यहां रहन सहन, नियमों व कानूनों में बदलाव आया। खाड़ी देशों में जहां विकास हुआ तो वहीं चरमपंथियों के कब्जे वाले अरब देशों की स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं आया।
मिडिल ईस्ट के अलग अलग देशों में महिलाओं की अलग अलग स्थिति है, जो देश व्यापार, विदेशी निवेश और में विकसित हैं, उन देशों में महिलाओं की स्थिति बेहतर है। यूएई में महिलाओं को ज्यादा अधिकार प्राप्त है, जबकि सऊदी में कम। कई सालों से मांग के बाद अब सऊदी अरब ने महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार दिया है। पासपोर्ट संबंधी अधिकार भी महिलाओं को अब मिले हैं, क्योंकि सरकार पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है।
2013 में उन्हें साइकिल चलाने के लिए मिली मंजूरी
अपने अधिकारों के लिए महिलाओं को लंबा संघर्ष करना पड़ा, 1961 में लड़कियों के लिए पहला सरकारी स्कूल और 1970 में पहली यूनिवर्सिटी खुली। 2009 में पहली सरकारी मंत्री बनीं, साल 2012 में ओलंपिक में महिला एथलीट्स को जगह मिली। 2013 में पूरे कपड़ों में साइकिल चलाने की मंजूरी मिली।
2015 में मिला वोटिंग का अधिकार
यहां महिलाओं को वोट डालने का अधिकार 2015 में मिला। धीरे धीरे इन देशों में बदलाव आ रहे हैं और ये दुनिया से कदम से कदम मिला कर चलना चाहते हैं।
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