जानिए Shahed-136 ड्रोन्स के बारे में जिससे यूक्रेन पर हमले कर रहा है रूस, जेलेंस्की ने कहा कि पिछले आठ दिनों में देश के 30 फीसदी बिजली स्टेशन नष्ट

ईरान की Shahed Aviation Industry द्वारा निर्मित शाहेद – 136 (Shahed-136) ड्रोन्स ('कामिकेज' ड्रोन) को 'गरीब आदमी की क्रूज मिसाइल' भी कहा जाता है. ये सटीकता के साथ हमला करते हैं, आकार में छोटे हैं, समूहों में दागे जाने पर प्रभावी ढंग से हवाई सुरक्षा (Air Defense) में घुसने में सक्षम हैं.

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जानिए Shahed-136 ड्रोन्स के बारे में जिससे यूक्रेन पर हमले कर रहा है रूस, जेलेंस्की ने कहा कि पिछले आठ दिनों में देश के 30 फीसदी बिजली स्टेशन नष्ट - APN News
Shahed-136

रूस द्वारा यूक्रेन की राजधानी में सोमवार 17 अक्टूबर को जब विस्फोटकों से लदे आत्मघाती ड्रोनों शाहेद – 136 (Shahed-136) ड्रोन्स (‘कामिकेज’ ड्रोन) की लहरों ने कई रिहायशी एवं व्यावसायिक इमारतों को टारगेट करने लगे तो कीव की सड़कों पर सुरक्षा के लिए तैनात किए गए जवानों ने उन्हें नीचे गिराने की भी कोशिश की लेकिन इसके बाद भी वो हमला करने में सफल रहे.

कई महीनों से जारी युद्ध में यो पहली बार हो रहा था जब रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव के मुख्य ठिकानों पर हमला किया. ये हमले ईरान में निर्मित शाहेद – 136 ड्रोन्स (‘कामिकेज’ ड्रोन) की मदद से किए गये थे. रूस ने शाहेद – 136 ड्रोन्स को गेरान -2 के रूप में रीब्रांड किया है.

रूस ने बढ़ाये हमले

यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि इन हमलों से ऊर्जा सुविधाएं प्रभावित हुई, अधिकारियों के अनुसार, 25 से अधिक लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए. यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, 10 अक्टूबर से शुरू हुए मौजूदा हमलों ने देश भर में कम से कम 10 क्षेत्रों को लक्षित (Target) किया है और हमलों के लिए रूसी मिसाइलों के साथ-साथ ईरानी निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल भी किया गया है.

यूक्रेनी वायु सेना ने कहा कि उसने सोमवार को कम से कम 37 ड्रोन नष्ट कर दिए. अपने हिस्से के लिए, तेहरान के अधिकारी रूस को हथियारों की आपूर्ति करने से इनकार करते हैं. वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रूस ने 2,400 “कामिकेज” ड्रोन खरीदे हैं, लेकिन इसका बेड़ा तेजी के साथ समाप्त हो रहा है.

यूक्रेन के 30 फीसदी बिजली स्टेशन नष्ट

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने मंगलवार को ट्विटर पर कहा कि पिछले आठ दिनों में, “यूक्रेन के 30 फीसदी बिजली स्टेशन नष्ट हो गए हैं, जिससे देश भर में बड़े पैमाने पर बिजली की सप्लाई बंद हो गई है”. यूक्रेन की सरकार का कहना है कि सैकड़ों कस्बों और गांवों में बिजली कटौती के साथ, राजधानी कीव, डीनिप्रो और सूमी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को प्रभावित किया गया था.

शाहेद – 136 ड्रोन्स (‘कामिकेज’ ड्रोन)

ईरान की Shahed Aviation Industry द्वारा निर्मित शाहेद – 136 (Shahed-136) ड्रोन्स (‘कामिकेज’ ड्रोन) को ‘गरीब आदमी की क्रूज मिसाइल’ भी कहा जाता है. ये सटीकता के साथ हमला करते हैं, आकार में छोटे हैं, समूहों में दागे जाने पर प्रभावी ढंग से हवाई सुरक्षा (Air Defense) में घुसने में सक्षम हैं और सबसे बड़ी बात ये मिसाइल और अन्य के युद्धक हथियोरों के मुकाबले काफी सस्ते हैं. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण में इस ड्रोन ने एक शक्तिशाली, लागत प्रभावी हथियार के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत किया है.

यूक्रेन के ऊपर ईरानी में बनें शाहेद ड्रोन की मदद से लगातार किए जा रहे हमलो के पीछे रूस के कई लक्ष्य हैं – इनमें प्रमुख लक्ष्यों पर हमला करना, मनोबल तोड़ना, और अंततः दुश्मन की सेना एवं हथियारों को खत्म करना प्रमुख है.

रूस ने जिन शाहेद ड्रोनों को गेरान -2 के रूप में रीब्रांड किया है, उन्हें लुटेरिंग मूनिशन के रूप में जाना जाता है, ऐसे ड्रोन्स यूक्रेन के पास भी मौजूद हैं. यूक्रेनी ऑनलाइन प्रकाशन डिफेंस एक्सप्रेस के अनुसार, जो ईरानी डेटा का हवाला देतें हैं के अनुसार डेल्टा-विंग शाहेद 3.5 मीटर (11½ फीट) लंबा, 2.5 मीटर (8 फीट, 3 इंच) चौड़ा है और इसका वजन लगभग 200 किलोग्राम (440 पाउंड) है. यह 185 kph (114 mph) की उच्चतम गति के साथ 50 हार्सपॉवर इंजन द्वारा संचालित है. ड्रोन का इस्तेमाल पहले यमन में और पिछले साल एक घातक तेल टैंकर हमले में किया जा चुका है.

कामिकेज ड्रोन, या आत्मघाती ड्रोन, एक प्रकार की हवाई हथियार प्रणाली है. इन्हें एक “घूमने वाली युद्ध सामग्री” के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये संभावित लक्ष्य के रूप में पहचाने गए क्षेत्र में कुछ समय के लिए चक्कर लगाते हैं और जब दुश्मन की संपत्ति की पहचान हो जाती है तब वहां हमला करते हैं.

कामिकेज रणनीति क्या है?

‘कामिकेज’ नाम दूसरे विश्वयुद्ध में हमले की रणनीति से आया है. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान की सेना ने यह रणनीति अपनाई थी. इस दौरान जापानी लड़ाकू विमानों के पायलट गोला-बारूद भरकर आत्मघाती मिशन पर निकलते थे प्रशांत क्षेत्र में तैनात अमेरिकी युद्धपोतों और विमानवाहक पोतों को उड़ा देते थे. वे अपने विमान दुश्मन के ठिकानों पर क्रैश कर देते थे जिससे बड़ा नुकसान होता था. इसी रणनीति को कैमिकाजी नाम दिया गया था.

अपने छोटे आकार के बावजूद, शाहेद बड़ा नुकसान करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली है. सोमवार को हुए हमलों में, एक ड्रोन ने एक ऑपरेशन सेंटर पर हमला किया, जबकि दूसरा पांच मंजिला आवासीय भवन में जा घुसा, जिसमें एक बड़ा छेद हो गया और कम से कम तीन अपार्टमेंट ढ़ह गए, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत हो गई.

रूस में हथियारों की कमी की खबरें

रूसी अधिकारियों ने संघर्ष के दौरान दागी गई मिसाइलों की संख्या के बारे में कोई डेटा जारी नहीं किया है, लेकिन यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने हाल ही में आरोप लगाया है कि रूस ने अपने उच्च-सटीक मिसाइल शस्त्रागार में से अधिकांश उपयोग कर लिया है – रूस के पास युद्ध से पहले 1,844 उच्च-सटीक मिसाइल थी जो अक्टूबर के मध्य तक घटकर 609 रह गई हैं.

अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान आने वाले दिनों में कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘फतेह-110’ और ‘जोल्फाघर’ की पहली खेप मास्को भेजने की तैयारी कर रहा है. इससे रूस के सामने घटते गोला-बारूद की समस्या खत्म हो जाएगी.

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