अफगानिस्तान में चारों तरफ तालिबान का कब्जा है। हर तरफ उनकी सेना का राज है लोगों के भीतर बंदूकतंत्र का खौफ है। लोग देश छोड़कर अन्य देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं। अफगानिस्तान में तालिबान का इसकदर आतंक है कि लोग जान बचाने के लिए विमान के पहिए पर लटक के भाग रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अपने देश को बचाने के लिए अफगानिस्तान की जनता उठ खड़ी हो गई है। काबूल से लेकर जलालाबाद में तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है।

महिलाएं हाथ में पोस्टर बैनर लेकर सड़कों पर निकल गई हैं। अपने हक के लिए तालिबान के खिलाफ लड़ रही हैं। वहीं युवा अपने झंडे के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। युवाओं का कहना है कि तालिबान को देश का झंड़ा नहीं बदलने देंगे। जलालाबाद में इसे लेकर युवा प्रदर्शन कर रहेें हैं।

बता दें कि 1919 में अफगानिस्तान अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। आजादी के जश्न से पहले ही देश को तालिबान ने फिर गुलाम बना लिया। युवाओं ने सड़कों पर हमारा झंडा हमारी पहचान के नारे के साथ रैली निकाली थी। इस पर तालिबान ने गोलियां बरसाईं जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी।

हिम्मत वाली बात तो यह है कि तालिबान के खिलाफ 4 करोड़ की आबादी में कोई आवाज नहीं उठा रहा था। पर बढ़ते दमन को देख महिलाओं ने इसकी शुरुआत की और बैनर पोस्टर लेकर सड़क पर निकल गईं।

वहां के लोकल चैनल टोलो टीवी से मिली जानकारी के अनुसार महिलाओं का कहना है कि प्रदर्शन करना उनका संविधानिक हक है उन्हें तालिबान भी नहीं रोक सकता है। हिम्मती महिलाओं का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बात दें कि अफगानिस्तान की जनसंख्या 4 करोड़ है जिसमें 1 करोड़ महिलाएं हैं।

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि पहले तो वे तालिबान से डर रहे थे लेकिन जब एक इंसान खिलाफत करने लगा तो सभी को हिम्मत मिल गई। अन्य लोग भी खिलाफत करने लगे हैं। आंदोलन को देख तालिबान डरा हुआ है उसने इस आग को शांत करने के लिए मौलानाओं का सहारा लिया है। शुक्रवार को नमाज के समय सभी को मस्जिद में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।

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