बांग्लादेश में हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को हाल ही में एक बड़ा झटका लगा है। चटगांव की एक स्थानीय अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसके बाद उनके वकील उच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं। चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया था। उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था, जिसके बाद बांग्लादेश सहित अन्य देशों में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
चटगांव कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका
चटगांव कोर्ट में 2 जनवरी 2025 को जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। चिन्मय कृष्ण दास के वकील, अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। भट्टाचार्य ने कहा, “हम चटगांव बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट के सदस्य हैं, इसलिए इस केस को आगे बढ़ाने के लिए किसी स्थानीय वकील की सहमति की जरूरत नहीं है।”
इसके पहले, 3 दिसंबर 2024 को सुनवाई के दौरान, जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी, क्योंकि वकील की उपस्थिति और कुछ अन्य तकनीकी कारणों से याचिका पर सुनवाई टल गई थी। अब उच्च न्यायालय में इस मामले को आगे बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है।
25 नवंबर को हुई थी गिरफ्तारी
चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया, जिसके कारण उन्हें देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ा। इस गिरफ्तारी के बाद, बांग्लादेश में और दुनिया भर में उनके समर्थन में प्रदर्शन होने लगे थे।
प्रदर्शन और विरोध की लहर
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लोग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 29 दिसंबर 2024 को बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद (BHBCOP) ने एक बयान जारी कर कहा कि चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ दायर किए गए मामले को पूरी तरह से झूठा और राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया। परिषद का आरोप था कि यह गिरफ्तारी केवल धार्मिक उत्पीड़न और समुदाय विशेष के खिलाफ दमन की रणनीति का हिस्सा थी।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर केवल बांग्लादेश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी चिंता व्यक्त की गई है। विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में देखा है। इन संगठनों ने बांग्लादेश सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच करने और धार्मिक नेताओं के खिलाफ उत्पीड़न को रोकने की अपील की है।
आगे की रणनीति
चिन्मय कृष्ण दास के वकील उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल करने की योजना बना रहे हैं, और उनका कहना है कि उन्हें न्याय मिलेगा। इसके अलावा, उनके समर्थक भी सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं और गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अपने अभियान को तेज कर सकते हैं। अब यह देखना बाकी है कि उच्च न्यायालय इस मामले में क्या फैसला लेता है और बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।