पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी नापाक मंसूबों को अंजाम दिया है। इस बार उसने हथियार के बल पर भारतीय क्षेत्रों को कब्जाने की कोशिश नहीं की है। बल्कि रणनीतिक तरीके से वो इस काम को अंजाम देने में लगा है। लेकिन भारत ने उसकी रणनीति समझते हुए एक बार फिर उसे बेनकाब किया है औऱ उसे सख्त चेतावनी भी दी है। दरअसल, 21 मई को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने गिलगित-बाल्टिस्तान पर आदेश जारी कर स्थानीय प्रशासन से अधिकारों को वापस लेते हुए पाक सरकार के हाथों में अधिक ताकत सौंपने की बात कही थी। भारत ने इसका विरोध किया है। ये जायज भी है। भारत हमेशा से इस इलाके को कश्मीर का अभिन्न हिस्सा मानते हुए अपना मानता रहा है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान जबरन कब्जे वाले इस क्षेत्र के किसी भी हिस्से के दर्जे में बदलाव नहीं कर सकता।

गिलगिट-बाल्टिस्तान में अब तक स्वायत्त प्रशासन चलता है। माना जाता है कि पाकिस्तान ने इस इलाके पर अवैध तौर कब्जा किया हुआ है। जबकि कश्मीर का हिस्सा होने के काऱण ये भारत का अंग है। लेकिन न केवल पाकिस्तान इस इलाके को दबाकर बैठा है बल्कि वो अब इसे अपना पांचवां प्रांत बनाना चाहता है। भारत ने पाक अधिकारी सैयद हैदर शाह को सख्त लहजे में कहा कि पाकिस्तान की ओर से कब्जाए गए भारत के किसी भी हिस्से के स्टेटस को बदलने का कोई कानूनी आधार नहीं है।

भारत ने पाकिस्तान के तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश, 2018 के खिलाफ सख्त विरोध जताया है। बता दें कि 1947 में हुए विलय के आधार पर पूरा जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है। ‘गिलगिट-बाल्टिस्तान’ इलाका उसी राज्य में शामिल है। पाकिस्तान को इस इलाके को खाली करना ही होगा। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से जारी इस आदेश का कई मानवाधिकार संगठन भी विरोध कर रहे हैं।

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