पाकिस्तान जिस तेज गति से पड़ोसी देश चीन से लगातार कर्ज ले रहा है, उसे देखते हुए यहीं लगता है कि जल्द पाकिस्तान को बड़े आर्थिक संकट से जूझना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तानी रुपए की वैल्यू इंटरनैशनल मार्केट में लगातार गिरती जा रही है। 1 डॉलर के मुकाबले उसकी कीमत 120 रुपये तक गिर गई है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के पास अब महज 10.3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार शेष है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था।
रॉयटर्स एजेंसी के मुताबिक, पाकिस्तान हर बढ़ते दिन के साथ कर्ज के बोझ से दबता जा रहा है। पाकिस्तान का चीन और इसके बैंकों से इस साल लिया गया कर्ज करीब 5 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान भुगतान संकट से जूझ रहा है जिसके चलते चीन से 1-2 बिलियन डॉलर (68-135 अरब रुपए) का नया लोन लेने जा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान इस नए लोन का इस्तेमाल अपने विदेशी मुद्रा भंडार की हालत को ठीक करने में करेगा।
पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल पाकिस्तान का व्यापार घाटा 33 अरब डॉलर का रहा था। ऐसे में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत से पाकिस्तान को और ज्यादा आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि पाकिस्तान में ज्यादातर लोग इनकम टैक्स भी नहीं देते हैं। 2007 में पाकिस्तान में इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या 21 लाख थी जो 2017 में घटकर 12 लाख 60 हज़ार हो गई।
उल्लेखनीय है कि शुरुआत से ही चीन भारत को घेरने के लिए पड़ोसी देशों की अस्थिरता का फायदा उठाकर कर्ज के जाल में फ़साने का काम करता आ रहा है। इससे पहले चीन ने अपने कर्ज के जाल में श्रीलंका को फसाया था। जिसके बाद कर्ज के बोझ तले दबे हुए श्रीलंका ने चीन को हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए लीज पर दे दिया था।
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गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हॉटलाइन पर बातचीत के दौरान पाक ने संघर्ष विराम समझौते का प्रस्ताव रखा, जो भारत ने स्वीकार कर लिया। बता दें कि 29 सितंबर 2016 को हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यह पहला मौका है जब दोनों देशों की सेना संघर्ष विराम के पालन पर सहमत हुई।