चिन्मय कृष्ण दास, जिनका नाम एक हाई-प्रोफाइल केस में सामने आया है, की जमानत याचिका पर अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख अगले महीने तय की है। ये मामला अब लगभग एक महीने के लिए लटक गया है। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। चिन्मय दास को पिछले हफ्ते देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जब वह बांग्लादेशी हिंदुओं पर बढ़ते हमलों के खिलाफ कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
बता दें, चिन्मय कृष्ण दास पर गंभीर आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जिनमें वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी शामिल है। दूसरी ओर, दास के वकीलों का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और यह मामला राजनैतिक साजिश का नतीजा है।
अदालत में क्या हुआ?
आज की सुनवाई में बचाव पक्ष ने जमानत याचिका के समर्थन में अपनी दलीलें पेश कीं। उन्होंने तर्क दिया कि चिन्मय दास पिछले कई महीनों से हिरासत में हैं और जांच एजेंसियों को उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि दास को जमानत पर रिहा किया जाए, क्योंकि हिरासत में रहने से उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
वहीं, अभियोजन पक्ष ने जमानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने अदालत को बताया कि दास के खिलाफ चल रही जांच में नए सबूत सामने आए हैं, जो उनके अपराध में शामिल होने की पुष्टि करते हैं। अभियोजन पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि जमानत मिलने पर दास जांच को प्रभावित कर सकते हैं और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
अगली सुनवाई की तारीख
सभी पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए अगले महीने तक स्थगित कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी सबूतों और दलीलों की गहनता से समीक्षा करना जरूरी है। जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 2 जनवरी 2025 को अगली तारीख तय की गई है।
जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया
यह मामला मीडिया में हाईलाइट बना हुआ है, और जनता के बीच भी इसे लेकर विभिन्न मत हैं। कुछ लोग इसे एक बड़ी साजिश का हिस्सा मानते हैं, तो कुछ का कहना है कि यदि आरोप साबित होते हैं, तो दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।