Mid Day Meal: शिक्षक दिवस के मौके पर जब बेहतर शिक्षा और सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को सम्मानित करने की बात की जा रही है।इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के जालौन स्थित मलकपुरा गांव का स्कूल भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है।यहां के सरकारी स्कूल में मिड- डे मील में परोसे जाने वाली थाली की फोटो और वीडियो अब देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है। आखिर कैसे संभव हो सकी एक सामान्य से सरकारी स्कूल में बेहतर सुविधा और मिड-डे मील की उत्कृष्ट व्यवस्था? आइए जानते हैं यहां के पूरी व्यवस्था को।

Mid Day Meal: मिड- डे मील नहीं Deluxe थाली बोलिए!
Mid Day Meal: उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले जालौन के इस सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को तिथि भोजन यानी मिड-डे मील प्रदान किया जाता है। लेकिन आपको ये देखकर ताज्जुब होगा कि थाली में सूखी रोटी, पतली दाल की जगह मटर पनीर, पूरी, मिल्क शेक, सलाद, और आइसक्रीम से तैयार की गई है। यानी हर बच्चे को स्वादिष्ट और भरपूर पोषण मिले।
दरअसल ये थाली यूपी के जालौन के मलकपुरा गांव में 31 अगस्त को तिथि भोजन यानी एड ऑन मिड डे मील के तहत परोसी गई। मलकपुरा के सरकारी स्कूल की यह खास थाली सिर्फ बानगी भर है। यहां के स्थानीय प्रशासन ने स्कूल में सुधार लाने के लिए तमाम ऐसे कदम उठाए हैं, जो किसी अच्छे प्राइवेट स्कूल की श्रेणी में आते हैं।
Mid Day Meal: ग्राम प्रधान और स्थानीय प्रशासन ने उठाया कदम
मलकपुरा स्थित ये सरकारी स्कूल आज बेहतर शिक्षा की दिशा उड़ान भरने के साथ छात्रों को भोजन से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए मशहूर हो गया है। स्कूल का नाम रोशन करने के पीछे योगदान स्थानीय प्रशासन के साथ ही ग्राम प्रधान अमित का भी है।अमित ने बताया कि उन्हें बच्चों के लिए अच्छे खाने का आइडिया पिछले साल 31 दिसंबर को आया था, तब उन्होंने बच्चों की डिमांड पर स्कूल में मिड डे मील में पनीर की सब्जी बनवाई थी।
हालांकि यह संभव नहीं है कि हर रोज इस तरह का खाना बनवाया जा सके। क्योंकि इसमें अतिरिक्त खर्चा भी पड़ता है।अमित ने कोरोना काल के बाद जब स्कूल खुले तो इस दिशा में काम करना शुरू किया।
Mid Day Meal: सोशल मीडिया पर की अपील
Mid Day School: ग्राम प्रधान अमित ने सोशल मीडिया पर लोगों से इस व्यवस्था में जुड़ने की अपील की।उन्होंने महीने में कम से कम दो बार और ज्यादा से ज्यादा महीने में चार बार बच्चों के लिए ऐसा खाना बनवाने का विचार किया।अमित की मुहिम रंग लाई और अपील पर लोग आगे आए। उन्होंने अमित से संपर्क किया। लोग अपने बच्चों के बर्थडे या अन्य किसी शुभ मौकों पर बच्चों के लिए इस तरह के भोजन की व्यवस्था कराने के लिए कहते हैं। यानी कोई भी इस रेंडम व्यवस्था में अपना सहयोग दे सकता है।
अमित के मुताबिक, उनके स्कूल में करीब 117 बच्चे हैं. ऐसे में 100-115 बच्चों के लिए स्पेशल खाने पर करीब 2000-4000 रुपये का खर्चा आता है।
यह एड ऑन मिड डे मील कहलाता है, यानी मिड डे मील की व्यवस्था में इस अतिरिक्त खर्चे को जोड़कर बच्चों के लिए अच्छा भोजन कराया जाता है। उन्हें एड ऑन मिड डे मील का आईडिया गुजरात सरकार के तिथि भोजन योजना से आया।
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