ओलंपिक 2020 चल रहा है। मीडिया जगत में खेल में हिस्सा लेने वाले सभी खिलाड़ियों की चर्चा खूब हो रही है। ओलंपिक में भारत की बेटियां कमाल कर रही हैं। देश का नाम रौशन कर रही हैं। देश अन्य खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद कर रहा है। लेकिन भारत में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं , दो वक्त के खाने के लिए दूसरों के घरों में काम करने के लिए मजबूर हैं।
कुछ इस तरह की कहानी है झारखंड के बोकारों में रहने वाली गुड़िया की, गुड़िया जिला स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर तीरंदाजी में गोल्ड-सिल्वर मेडल हासिल कर चुकी हैं। आज ये बच्ची दो वक्त के खाने के लिए मजबूर है। गुड़िया दो वक्त का खाना इकट्ठा करने के लिए दूसरों के घरों में बर्तन साफ करती हैं खाना बनाती हैं।
गुड़ियां गुमनामी की जिंदगी जी रही हैं। बोकारो की एकमात्र आर्चरी एकेडमी बंद होने के बाद गुड़िया पूरी तरह से असहाय हो गईं। आर्थिक तंगी के कारण वह अभ्यास के लिए किट नहीं खरीद पा रहीं हैं। जब तक एकेडमी थी गुडियां आसानी से वहां जाकर अभ्यास करती थी। वह बांस और पुआल के सहारे अपने सपने को पंख देने में लगी। हैं।
गुड़िया ने APN News के बताया कि, हम आर्थिक रुप से बहुत कमोजर हैं। अभ्यास के लिए महंगी किट नहीं खरीद सकते हैं। लेकिन फिर भी देश को मैंने कई मेडल दिया है। घर का र्खच चलाने के लिए दूसरों के घरों में काम करना पड़ता है। घर को संभालना पड़ता है। अभी मैं बांस और पुआवल के साथ लगातार अभ्यास कर रही हूं।
बता दें कि दो साल की कड़ी मेहनत के बाद गुड़िया ने राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड से लेकर सिल्वर तक हासिल किया है। महज दो साल में इनती बड़ी कामयाबी हासिल करने वाली गुड़िया अब पूरी तरह से असहाय हैं।
बडी आर्थिक तंगी के बाद भी गुड़ियां के भीतर अपने सपनों को पंख देने की आग धधक रही हैं। APN News चैनल के जरिए गुड़िया ने गुहार लगाते हुए कहा कि, मुझे कहीं छोटी मोटी नौकरी ही दे दे सरकार ताकि मैं अपनी प्रतिभा को निखार सकूं।
वहीं गुड़िया की मां ने APN News से कहा कि, आर्थिक तंगी के कारण मैंने बच्ची को खेलने के लिए भेजा उम्मीद थी कि सरकार कुछ मदद कर देगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वहीं गुड़िया के पिता का कहना है कि बच्ची खेलने क लिए बहुत इच्छुक है लेकिन सरकार की तरफ से कोई मदद न मिलने के कारण उसकी प्रतिभा दबती जा रह है। जब मैं आर्थिक और शारीरिक रुप से ठीक था तो बच्ची का साथ दे रहा था लेकिन अब मुश्किल होता जा रहा है।
गुड़िया की कोच अंजना सिंह कहती हैं, इतनी प्रतिभावान खिलाड़ियों देखकर लगता है कि मैंने उन्हें सपना क्यों दिखाया, आज वे खाने के लिए मुस्तार हैं। गुड़िया इतनी मेहनती है कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी खेल सकती हैं।
गौरतलब है कि देश में इस तरह का हाल महज गुड़िया की नहीं है बल्कि कई ऐसे खिलाडी हैं। जिनके पास गोल्ड और सिल्वर दोनों ही मेडल है लेकिन मेडल से कहा पेट भरता है। उसके लिए तो दो वक्त का खाना चाहिए।