देश में डीजिटल भारत का अभियान चलाया जा रहा है। उंगली पर दुनिया हो गई है। एक कॉल से खाना से लेकर पार्लर घर पहुंच जाता है। पर क्या पूरे भारत में यह सुविधा उपलब्ध है ? क्या ग्रामीण भारत को बेसिक सुविधा मिल रही है ? नहीं, ग्रामीण भारत में लोगों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए भी मीलों पैदल चलना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के दोआबा से एक वीडियो सामने आया है जिसमें बेटे अपनी मां को इलाज के लिए चारपाई पर रखकर पैदल लेकर भटक रहे हैं। इलाज के लिए इन्हें 7 किलो मीटर तक मां को चारपाई पर लेकर टूटी फूटी सड़कों पर चलना पड़ा है। सड़क पर कीचड़ होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंची जिसके बाद यह तस्वीर सामने आई।
मिली जानकारी के अनुसार बब्बू का डेरा मजरे सरकंडी निवासी बेटन की पत्नी शिवकली रविवार को जंगल जाते समय अचानक कीचड़ में फिसल कर गिर गईं थीं। कमर से लेकर पूरे शरीर में गहरी चोट आगई थी। इलाज के लिए एंबुलेंस को बुलाया गया। लेकिन गांव की सड़क दलदल वाली होने के कारण एंबुलेंस 7 किलोमीटर पहले ही रुक गई।
कच्चे और दलदल रास्ते की जानकारी पर चालक ने गांव तक आने से मना करते हुए सात किमी दूरी मनावा गांव के पास एंबुलेंस खड़ी कर दी। मजबूरन बेटों और परिजनों ने शिवकली को चारपाई पर लिटाया और भागकर एंबुलेंस तक पहुंचे, उनको डर था देर होने पर एंबुलेंस वहां से भी न चली जाए।
बेटे राममिलन ने बताया कि गांव तक पक्का रास्ता नहीं होने के कारण एंबुलेंस औऱ अन्य वाहन नहीं पहुंच पाते, इसलिए मां को चारपाई पर लिटा कर करीब सात किमी तक ले जाना पड़ा। उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां डाक्टर ने कमर में फैक्चर बता कर इलाज कर रहे हैं।
इस तरह की तस्वीरें राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती हैं। यह पहली बार नहीं है कि इलाज के लिए देशवासियों को इस तरह से भटकना पड़ रहा है। इससे पहले कई ऐसी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जिसमें महिलाओं ने बच्चों को सड़क पर ही जन्म दिया है।