पश्चिम बंगाल में मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि, ‘आप दो समुदायों के बीच दरार क्यों पैदा कर रहे हैं?’ कोर्ट ने कहा कि आज तक दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसे स्थिति नहीं बनी है, तो आप क्यों अतिरिक्त संदेह कर रहें हैं? कोर्ट मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर आज अपना फैसला सुनाएगा।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुहर्रम को ध्यान में रखते हुए विजयादशमी के दिन यानी 30 सितंबर को सिर्फ 6 बजे तक ही मूर्ति विजर्सन की इजाजत दी थी। राज्य सरकार ने 1 तारीख यानी मुहर्रम के दिन विसर्जन पर रोक लगा दी थी और शेष विसर्जन 2 तारीख को किए जाने के आदेश थे।
This year Durga Puja & Muharram fall on the same day. Except for a 24 hour period on the day of Muharram... 1/2
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 23, 2017
... Immersions can take place on October 2, 3 and 4... 2/2
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 23, 2017
हालांकि हाईकोर्ट के दखल के बाद ममता सरकार ने विजयदशमी के दिन विसर्जन की समय सीमा को 6 बजे से बढ़ाकर रात 10 बजे तक कर दिया था। विसर्जन पर पाबंदी को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में ममता बनर्जी के खिलाफ यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि यह आदेश समुदाय विशेष के लिए एक तुष्टिकरण और एक बड़े समुदाय के धार्मिक रस्म रिवाज के साथ हस्तक्षेप है। इससे भावनाएं आहत होने के साथ सद्भाव बिगड़ने की भी आशंका है। साथ ही साथ यह संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन भी है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि दोनों समुदाय एक साथ त्योहार क्यों नहीं मना सकते? कोर्ट ने पूछा कि जब राज्य सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त है कि प्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव है फिर दोनों समुदायों में भेदभाव क्यों कर रही है। राज्य सरकार को उन्हें बांटना नहीं चाहिए।
आपको बता दें कि पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि ‘यह तुष्टीकरण की नीति है। राजनीति को धर्म से न जोड़ा जाए।’ कोर्ट ने सरकार को यह भी याद दिलाया कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था लेकिन तब कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी।