Old Parliament Building: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नवनिर्मित संसद भवन का लोकार्पण कर दिया है। इसी के साथ देश को अब अपनी नई संसद मिल गई है जिसके कॉम्प्लेक्स में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, डायनिंग एरिया और पर्याप्त पार्किंग स्थान भी है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि संसद का अगला सत्र नई संसद में ही आयोजित किया जाएगा और पुरानी इमारत पूरी तरह से खाली कर दी जाएगी।
ऐसे में आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि देश को नया संसद भवन मिलने के बाद पुराने संसद भवन का क्या होगा? आखिर ये वही भवन है, जहां से नए राष्ट्र का निर्माण हुआ और कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए।

बता दें, संसद भवन की समृद्ध विरासत का संरक्षण और कायाकल्प राष्ट्रीय महत्व के मामलों में आता है। पुराने संसद भवन में शाही विधान परिषद थी जिसे भारत की लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक माना गया है। इस बिल्डिंग को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था, जिसे बनने में लगभग 6 साल लगे और यह 1927 में बनकर तैयार हुआ था। तो आइये जानतें हैं कि पुरानी इमारत का अब क्या होगा?
Old Parliament Building: क्या जमींदोज कर दी जाएगी पुरानी इमारत?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पुरानी बिल्डिंग को तोड़ा नहीं जाएगा। मौजूदा संसद भवन का आवश्यक रूप से संरक्षण किया जाएगा क्योंकि यह देश के लिए एक पुरातात्विक संपत्ति है। इसे एक संग्रहालय में परिवर्तित किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो भवन को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा ताकि वे लोकसभा और राज्यसभा चैंबर्स का अनुभव कर सकें। हालांकि इसको लेकर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी ही होगी।

मौजूदा समय में सभी पेंटिंग्स, मूर्तियां, पांडुलिपियां, संग्रह और अन्य महत्वपूर्ण विरासत व सांस्कृतिक कलाकृतियों को राष्ट्रीय संग्रहालय व भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (Indira Gandhi National Centre for the Arts) में रखा गया है। बता दें, मार्च 2021 में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा को बताया था कि एक बार नया भवन तैयार हो जाने के बाद मौजूदा संसद की मरम्मत करनी होगी और उसे वैकल्पिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराना होगा, लेकिन इस पर कोई व्यापक विचार नहीं किया गया है।
एक मीडिया संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया था कि पुराने संसद भवन को एक संग्रहालय के तौर पर संरक्षित किया जाएगा जिससे कि आने वाली पीढ़ी को देश की लोकतांत्रिक यात्रा के बारे में बताया जा सके।
जान लीजिए पुरानी और नई इमारत से जुड़ी कुछ खास बातें

नए संसद भवन में 888 लोकसभी सीटों की क्षमता है जबकि पुरानी संसद में 552, नए संसद भवन में 384 राज्यसभा सीटे हैं जबकि पुराने संसद भवन में 250 ही हैं। नए संसद भवन को बनने में 862 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जबकि पुराने संसद भवन का निर्माण उस वक्त सिर्फ 83 लाख रुपये में हुआ था। नए संसद भवन को बनने में सिर्फ 21 महीने लगे हैं। वहीं, पुराने संसद भवन को 6 महीने लगे हैं।
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