अभी हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं जिनसे यह आरोप लग रहे हैं कि सरकार ने अपनी एजेंसियों के घोड़े खुले छोड़ दिए हैं और विपक्ष को घुटने पर लाने के लिए सरकार अपनी एजेंसी चाहे सीबीआई हो या ईडी का खुलेआम दुरुपयोग कर रही है। तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर सरकार पर यह आरोप लगा रहे हैं की सरकार इन एजेंसियों का उपयोग कर अपने तानाशाही दायरे को विस्तार दे रही है। आखिर ऐसे आरोप क्यों लग रहे हैं…. क्या वजह है कि विपक्ष को मोदी सरकार की एजेंसियों से चिढ़ हो गई है
बताएंगे आपको पूरी बात …. जुड़े रहिए हमारे साथ……नमस्कार….मैं मनीष राज…मेरे साथ …आप सुन रहे हैं ……समससामयिक चर्चाओं का विशेष पॉडकास्ट सुनो भई साधो…. इस खास कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है
साधो…… साल था 2013 ….सरकार थी …..सरदार मनमोहन सिंह की….कांग्रेस की…. कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला सुर्खियों में था। इस मामले में सीबीआई जांच की प्रगति की रिपोर्ट में सरकार के हस्तक्षेप पर कड़ी नाराजगी जताते हुए तब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और जांच एजेंसी दोनों को कड़ी फटकार लगाई थी। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सीबीआई पिंजरे में बंद ऐसा तोता बन गई है जो अपने मालिक की बोली बोलता है। यह ऐसी अनैतिक कहानी है जिसमें एक तोते के कई मालिक हैं।
तब से आज तक एक दशक बीत गया है…. सरकारें बदल गई हैं प्रधानमंत्री बदल गए हैं…. कभी सत्ता पक्ष में रहने वाला दल आज विपक्ष में है और आज वह वही बात रट आ रहा है जो कभी सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी सरकार पर आक्षेप लगाते हुए कही थी ….
आखिर क्यों है कि सत्ता जाते ही सरकारी एजेंसियां हर पार्टी को हर दल को…. अपने हितों के खिलाफ लगने लगती हैं जबकि सत्ता में रहते हुए उन्हें आदेश देते या उनका काम उनको निष्पक्ष लगता है
अभी हाल में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की कुर्सी चली गई ….उनके कभी विश्वासी रहे एकनाथ शिंदे ने ही उनकी कुर्सी उनसे छीन ली …..उनके साथ शिवसेना के बड़ी संख्या में विधायक और सांसद खड़े हुए…… शिवसेना के बचे चंद विधायकों व सांसदों के साथ सत्ता से बेदखल हुए उद्धव ठाकरे ने और उनके गुट ने आरोप लगाया कि यह सब मोदी सरकार और सरकारी एजेंसियों के डर से पाला बदल है …. सरकारी एजेंसियों के नोटिस से नेता डर गए और बीजेपी के इशारे पर नाचने लगे।
इससे पहले नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी को ईडी में बार बार बुलाया पूछताछ किया कुल 50 घंटों से अधिक की पूछताछ हुई…. बड़ा हंगामा मचा। कांग्रेस के तमाम नेता कार्यकर्ता देश भर में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन में जुट गए। और अब सोनिया गांधी से पहले दौर की पूछताछ हो चुकी है आगे भी पूछताछ होनी है। ….. कांग्रेस का विरोध जारी है और सरकारी सरकार और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग पर सवाल उठाए जा रहे हैं
झारखंड में भी जहां कांग्रेस की सरकार नहीं है वहां खनन घोटाले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी रही आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के घर जब सरकारी एजेंसियों की टीम पहुंची तो वहां अकूत दौलत देख कर उनकी आंखें खुली रह गइ…. पूछताछ में जब भ्रष्टाचार की परतें खुली तो उसकी आंच मुख्यमंत्री तक पहुंचने लगी हैं…. फिलहाल मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि सरकारी एजेंसियों के हिरासत में हैं।
सरकार की एजेंसियों के एक्टिव होने का सबसे ताजा मामला सामने आया है पश्चिम बंगाल में जहां प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया। एक दिन पहले ही उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर पर ईडी की रेड में करीब 20 करोड़ रुपये मिलने का दावा हुआ… मामला पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा है।
जाहिर है सरकारी एजेंसियों के निशाने पर विपक्षी पार्टियां ऐसे ही आती रहेंगी तो विवाद उठना लाजमी है। कांग्रेस , राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और आम आदमी पार्टी, ने अभी हाल में हुई एक सर्वदलीय बैठक में जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के मुद्दे को उठाया, कहा गया कि यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एनडीए की ओर से बुलाई गयी एक अलग सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई का विशेष उल्लेख किया। विपक्षी ने कहा कि ‘जांच एजेंसियों का दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल सरकार के द्वारा केंद्र में सत्ताधारी पार्टी की विस्तारित शाखा के रूप में किया जा रहा है।
राहुल गांधी के बाद सोनिया गांधी से भी पूछताछ के बाद कांग्रेस पार्टी मैं काफी गुस्सा है। कांग्रेस का दावा है कि यह ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ और ‘विपक्ष को खत्म करने’ के लिए एजेंसियों के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है। इस मामले में सरकार और सरकार की एजेंसियों का तर्क है कि एजेंसियां अपना रूटीन काम कर रही है ………..जहां भी गैरकानूनी या अनियमितता है जांच कि आंच वहीं पहुंच रही हैं। डॉक्टर सु. स्वामी जिन्होंने नेशनल हेराल्ड मामले के को लेकर जांच की मांग उठाई थी उन्होंने भी कांग्रेस को अपने दिनों को याद करने की बात कही है जिसमें बेकसूर लोगों को मामूली बातों पर एजेंसियों के द्वारा हिरासत में लेने और जेल में डाल देना आम बात हुआ करती थी।
बहर हाल आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला यह पक्ष और विपक्ष की ओर से जारी रहेगा। सरकार और एजेंसियों को इस बात का ध्यान रखना होगा इस मामले में यदि पक्षपात होता है वह ज्यादा दिन तक न्याय और आम जनता की नजरों से बच नहीं पाएगा। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के मामलों को अंजाम तक पहुंचाने की प्रतिशतता वैसे भी काफी कम है। कल को कहीं ऐसा ना हो कि किसी मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय को जिसने कभी सीबीआई को तोता कहा था, उसे प्रवर्तन निदेशालय को सरकारी मैना कहना न पड़ जाए….
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