उत्तर प्रदेश की राजनीति करवटें बदल रही है। जल्दी ही होने वाले चुनावी महाभारत के लिए तमाम घोड़े खोले जाने की तैयारियां शुरु हैं। पर सवाल है आम आदमी इन सबके बीच कहां हैं? क्या कर रहा है? बात कुछ यूं है कि भारत में लोकतंत्र को चुनावों का पर्व कहा जाता है, वो होना भी चाहिए क्योंकि हमारा देश जो कि पूरी दुनिया का सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र वाला देश है।
यहां चुनावों के जरिए सत्ता हासिल की जाती है। इन चुनावों में राजनैतिक पार्टियां जनता को लुभाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाती हैं क्योंकि जनता का वोट उनके लिए मायने रखता है। मगर देखने को यह मिलता है कि जनता लोकतंत्र के इस महापर्व में महज नारे लगाने के लिए काम आती है। कई बार पार्टियों को अपनी औकात दिखानी हो तो यही जनता महज शो पीस और संख्या बल के रुप में इस्तेमाल होती है। परंतु जब प्रसाद पाने की बारी आए तो वही जनता अपने को सबसे आखिर में पाती है।