महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। NCP का हाल भी शिवसेना जैसा हो गया है चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विवाद मामले में अपना फैसला सुना दिया है। चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी घोषित कर दिया। चुनाव आयोग ने एनसीपी का नियंत्रण और पार्टी का चुनाव चिह्न (घड़ी) अजित पवार गुट को दे दिया है। चुनाव आयोग के फैसले को शरद पवार की उनकी 63 साल की राजनीति में सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। इस फैसले से अजित पवार गुट में जश्न का माहौल है। चुनाव आयोग के फैसले पर अब सबकी नजरें इस बात पर आकर टिक गईं हैं कि शरद पवार के पास अब क्या विकल्प बचा है?
क्या है ऑप्शन
NCP प्रमुख शरद पवार के हाथ से पार्टी और सिंबल निकल जाने के बाद अब उनके पास अब एक ही विकल्प बचा है और वह है सुप्रीम कोर्ट में अपील। कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद इसका नतीजा कब आएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है और इसलिए शरद पवार गुट को बिना पार्टी और सिंबल के ही राज्यसभा और लोकसभा चुनाव का सामना करना पड़ सकता है। चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट से नया सिंबल और पार्टी के नाम के लिए आवेदन करने को कहा है। शरद पवार गुट को पार्टी के लिए नये नाम और सिंबल के बारे में चुनाव आयोग को सुझाव देना होगा।
अजित पवार करेंगे पार्टी को कंट्रोल
पार्टी की सारी शक्तियां अब अजित पवार के पास चली जाएंगी और साथ ही यह भी साफ हो गया कि पार्टी का प्रमुख पद अजित पवार गुट के पास ही रहेगा। इसलिए शरद पवार गुट को अजित पवार गुट के व्हिप का पालन करना होगा।
उद्धव से भी कमजोर स्थिति
महाराष्ट्र की राजनीति के लिहाज से देखें तो शरद पवार 2019 में महाविकास आघाड़ी (MVA) के आर्किटेक्ट बने थे अब उनकी हैसियत कांग्रेस के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से कमजोर होती दिख रही है। उद्धव ठाकरे के सामने वह चुनौती नहीं है जो मुश्किल अब शरद पवार के समाने आ खड़ी हुई है। वे अगर पार्टी बनाते हैं तो उन्हें इसके लिए युद्ध स्तर पर काम करना होगा। इस मामले में उद्धव आगे हैं। उन्होंने विभाजन के फैसला पहले आने के साथ ही नई पार्टी बना ली थी। उद्धव ठाकरे संगठन के मोर्चे पर काम भी कर चुके हैं। ऐसे में लोकसभा चुनावों और महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले से पहले ही शरद पवार को दोहर झटका लगा है।