यूपी में बिजली दरों में 45% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव, शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं की जेब पर बढ़ेगा बोझ

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उत्तर प्रदेश में आम जनता को जल्द ही बिजली दरों के मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने राज्य विद्युत नियामक आयोग में बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी का संशोधित प्रस्ताव दाखिल किया है, जिसके अनुसार ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए दरों में 45% और शहरी उपभोक्ताओं के लिए 40% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही, नए बिजली कनेक्शन की दरों में भी 25 से 30 फीसदी की वृद्धि का प्रस्ताव है।

शक्ति भवन, लखनऊ, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) का मुख्यालय 

यदि यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया, तो प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं को हर महीने जेब ढीली करनी पड़ेगी। 7 जुलाई से बिजली दर निर्धारण को लेकर सुनवाई शुरू होने की संभावना है।

बढ़ेंगे फिक्स चार्ज और यूनिट दरें

संशोधित प्रस्ताव के अनुसार, ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम फिक्स चार्ज 8 रुपये प्रति यूनिट और शहरी उपभोक्ताओं के लिए 9 रुपये प्रति यूनिट किया जा सकता है। इसमें बिजली कर, फिक्स चार्ज, प्रति किलोवाट शुल्क और अन्य सरचार्ज शामिल करने पर प्रति यूनिट लागत 12 से 13 रुपये तक पहुंच सकती है।

इसके अलावा, फिक्स चार्ज में भी बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव है:

क्षेत्रपहले का फिक्स चार्ज (₹/किलोवाट)प्रस्तावित फिक्स चार्ज (₹/किलोवाट)
शहरी क्षेत्र₹110₹190
ग्रामीण क्षेत्र₹90₹150

यह तालिका दिखाती है कि दोनों क्षेत्रों में फिक्स चार्ज में क्रमशः ₹60 से ₹80/किलोवाट की बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है, जो उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक भार डालने वाली है।

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने किया विरोध

उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह असंवैधानिक करार देते हुए नियामक आयोग से इसे खारिज करने की मांग की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आम जनता के हितों के खिलाफ है।

उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन फिक्स चार्ज को लेकर खेल कर रहा है और यह बढ़ोतरी केवल बिजली कंपनियों के मुनाफे को बढ़ाने के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का सरप्लस है, लेकिन इसे वापस करने पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।

केंद्र और राज्य सरकार पर भी उठे सवाल

अवधेश वर्मा ने राज्य सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सरकार लगातार बिजली महंगी करती जा रही है, जबकि आम आदमी की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को निम्न और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं पर सीधा आर्थिक बोझ डालने वाला कदम माना जाना चाहिए।

क्या हो सकते हैं असर?

यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली खर्च में 45% तक की बढ़ोतरी होगी।
  • शहरी उपभोक्ताओं को 40% तक अधिक बिल चुकाना पड़ेगा।
  • 12 से 13 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली की दरें पहुंच सकती हैं।
  • फिक्स चार्ज में ₹60 से ₹80 प्रति किलोवाट तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
  • यह असर सिर्फ घरेलू उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि छोटे व्यवसाय और कृषि पर भी प्रभाव पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित बिजली दर वृद्धि ने पहले ही बहस को जन्म दे दिया है। अब सबकी निगाहें 7 जुलाई से होने वाली नियामक आयोग की सुनवाई पर टिकी हैं। अगर यह प्रस्ताव पास होता है, तो आम जनता की जेब पर सीधा असर पड़ेगा और साथ ही सरकार को भी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।