Tukaram Omble: आजादी के इस अमृत महोत्सव पर देशवासी उन अमर शहीदों को याद कर रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपनी जान गंवा दी। ऐसे में हम मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले को कैसे भूल सकते हैं? मुंबई में हुए 26/11 हमले को देश कभी नहीं भुला सका और ना ही उन जवानों को जिसने लोगों को बचाने के लिए अपनी जान की आहूति दे दी।
मुंबई हमले में जान गंवाने वाले शहीदों में से एक देशभक्त तुकाराम ओंबले भी हैं। जिन्होंने आतंकी कसाब को पकड़ा था। आतंकी की गोली लगने के बाद भी उन्होंने कसाब को छोड़ा नहीं और उसे अपनी मजबूत बाहों में जकड़ लिया। जिससे ये आतंकी पुलिस के हाथ लग पाया था।
14 साल पहले हुए आतंकी हमले की त्रासदी को याद करते हुए तुकाराम ओंबले की बहादुरी और अदम्य साहस को एक उदाहरण के तौर पर युवाओं के सामने रखने के उद्देश्य से इस कार्यक्राम को किया गया। वो देश के लिए शहीद हुए हैं और देश इस बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। ये सोच लिए सोसाइटी के लोगों ने शहीद के परिवार को सम्मान दिया।
Tukaram Omble: शहीद तुकाराम ओंबले की बेटी से कराया गया ध्वजारोहण
स्वतत्रंता दिवस के मौके पर पूरा देश जश्न के माहौल में डूबा हुआ था। इस दौरान लोगों ने उन महान शहीदों को भी याद किया जिन्होंने राष्ट्र के लिए खुशी-खुशी शहादत दे दी। सोसाइटी के लोगों ने इसी क्रम में तुकाराम ओंबले को याद किया। सोसाइटी वालों ने तुकाराम ओंबले की बेटी के जरिए ध्वजारोहण करवा कर सम्मान दिया। इस सम्मान को पाकर उनकी बेटी ने पिता को याद किया।
उन्होंने कहा कि मेरे पिता आतंकियों को जिंदा पकड़ने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना लड़ते रहे। उन्होंने हमले को अंजाम देने वाले सभी 10 आतंकियों में से केवल जिंदा बचे एक आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ने के लिए अपनी जान गंवा दी और आखिरकार वो आतंकी पकड़ा गया। मुंबई वालों की सुरक्षा उनके लिए सबसे पहले आती थी।
Tukaram Omble: शहादत देकर कसाब को पकड़ा था जिंदा
बता दें कि मुंबई में हुए 26/11 हमले में कई लोगों की जानें गई थीं। समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे 10 आतंकियों ने पूरे शहर में दहशत फैला दी थी। इस हमले की सूचना मिलते ही सुरक्षा बलों ने स्थिति को काबू कर लिया था। हमला करने वाले सभी आतंकियों को देश के जवानों ने मार गिराया था।
बता दें कि जब आतंकी कसाब भागने की कोशिश कर रहा था तब चेकपोस्ट पर तुकाराम ओंबले तैनात थे। चेकपोस्ट पर पहुंचते ही आतंकियों और पुलिस के बीच जमकर गोलीबारी हुई। इसमें एक आतंकी मारा गया, लेकिन कसाब सरेंडर करने का नाटक करने लगा और जैसे ही पुलिस उसके पास आई उसने गोली चला दी। इस हमले में कई पुलिसकर्मी मारे गए।
उस वक्त तुकाराम ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए कसाब को अपनी बाजुओं में जकड़ लिया। कसाब ने तबाड़तोड़ तुकाराम पर गोली चलाई, इसके बाद भी उनकी पकड़ कमजोर नहीं हुई। उन्होंने शहादत देते हुए भी आतंकी को पकड़वाया। इस बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र दिया गया था। भारत का प्रत्येक नागरिक तुकाराम के बलिदान का हमेशा कर्जदार रहेगा। भारत भूमि को अपने बेटे शहीद तुकाराम ओंबले पर गर्व है।
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