Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में धीरे-धीरे जमीन धंसने के कारण दहशत का माहौल है। लोगों के घरों की दीवारों में दरारें आ गई हैं। इलाके में कई घर कई होटल सभी क्षतिग्रस्त हो गए हैं जिसके कारण लोगों को अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ रहा है। मगर सवाल ये है कि जोशीमठ में ऐसा क्यों हो रहा है तो इसके जवाब में एक रिसर्च सामने आई है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग द्वारा 2 साल के एक अध्ययन में ये सामने आया है कि जोशीमठ और इसके आस-पास के इलाकों में प्रति वर्ष 6.5 सेमी. या 2.5 इंच की दर से जमीन धंस रही है। गौरतलब है कि देहरादून स्थित संस्थान द्वारा सैटेलाइट डेटा का प्रयोग करते हुए यह रिसर्च की गई है। इस नई रिपोर्ट ने सबकी चिंता और बढ़ा दी।

Joshimath Sinking: सैटेलाइट के जरिए फोटो आई सामने
IIRS ने जुलाई 2020 से मार्च 2022 के बीच की सैलेलाइट तस्वीरें का अध्ययन किया, जिसमें ये पता चल रहा है कि जोशीमठ और उसके आस-पास का इलाका धीरे-धीरे धंस रहा है। सैटेलाइट तस्वीरें से ये भी पता चल रहा है कि केवल जोशीमठ ही नहीं बल्कि उसके आस-पास के इलाके भी धंस रहे हैं।
बता दें कि जोशीमठ में तेजी से भू-धसाव और लोगों के घरों में दरारें पड़ रही है। जिसके कारण अभी तक 131 परिवारों को मजबूरन अपना घर छोड़कर जाना पड़ा। इन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। प्रशासन ने हालातों को देखते हुए पूरा शहर खाली कराने की योजना बनाई है।

Joshimath Sinking: सैकड़ों घरों में आई धरारें
गौरतलब है कि शहर में 723 घर ऐसे हैं जिनमें दरार आ गई हैं। इनमें से कई घर ऐसे हैं जहां गंभीर रूप से नुकसान हुआ है। जिन्हें सरकार द्वारा गिराया जाना था लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद ये काम रोक दिया गया। बता दें कि जोशीमठ को चारधाम यात्रा का गेटवे माना जाता है। शहर में अधिकतर व्यापारी और होटल मालिक तीर्थयात्रियों पर निर्भर हैं ऐसे में यहां आए संकट के कारण स्थानीय व्यापारियों के लिए स्थिति चिंताजनक हो गई है।
Joshimath Sinking: केंद्र सरकार स्थिति पर रख रही है नजर

उत्तराखंड के जोशीमठ में आए इस संकट के कारण राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार हाई अलर्ट पर है। राज्य के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट यहां पर स्थिति संभालने के लिए केंद्र की तरफ से भेजे गए हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि हमारी प्राथमिकता सभी को सुरक्षित रखना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। अधिकारियों को तैनात किया गया है, सेना अलर्ट पर है। मवेशियों के लिए आश्रय भी बनाए गए हैं।
बता दें कि प्रशासन ने जोशीमठ शहर के अंदर 344 राहत शिविर बनाए हैं। जहां 1425 लोगों के रहने के इंतजाम किए गए हैं। जोशीमठ से बाहर पीपलकोटी में 491 कमरे तैयार किए गए हैं। जिसमें 2205 के रहने की व्यवस्था है।
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