Joshimath Sinking: कुदरत के आगे पलायन करने की मजबूरी, छलकती आंखों के साथ घरों को छोड़ते हुए कह रहे बाशिंदे- ‘म्‍यर धरती, म्‍यर पहाड़ कसिक छोड़ू येक साथ’……..

Joshimath Sinking:बरसों तक अपने पूर्वजों की थाती को संभाले हुए इन्‍हीं घरों में कई लोग जन्‍मे और कई पीढ़ियों ने यहां बसावट भी की। लेकिन एक सरकारी फरमान के बाद अचानक उन्‍हें अपना सब कुछ छोड़कर यहां से पलायन करना पड़ रहा है।

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Joshimath Sinking: पिछले कुछ दिनों से उत्‍तराखंड का जोशीमठ इलाका लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।इलाके के घरों में लगातार आ रही दरारों से सभी दहशत में हैं। स्‍थानीय प्रशासन से लेकर निवासी तक इसी दहशत में जी रहे हैं कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए।

बरसों तक अपने पूर्वजों की थाती को संभाले हुए इन्‍हीं घरों में कई लोग जन्‍मे और कई पीढ़ियों ने यहां बसावट भी की। लेकिन एक सरकारी फरमान के बाद अचानक उन्‍हें अपना सब कुछ छोड़कर यहां से पलायन करना पड़ रहा है।घर को छोड़ते ही इन लोगों के चेहरे पर दुख और चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकतीं हैं।ऐसे की कुछ परिवारों से बात कर विपदा की इस घड़ी में उनका दर्द जानने की कोशिश की।

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Joshimath Sinking: कड़ी मेहनत से बनाया था आशियान – बिंदु

पिछले 6 दशक से अपनी जिंदगी का एक पड़ाव यहां रहकर गुजार चुकीं बिंदु की आंखें घर को छोड़ते हुए भर आती हैं। वे बताती हैं कि ये मेरी मां का घर है। हमारा यहां से अलग ही लगाव है। मेरा बड़ा भाई और मेरी 80 वर्षीय मां यहीं रहते हैं। हमने अपने घर को बनाने में कड़ी मेहनत कर पैसे कमाए और अपने घर की नींव रखी, लेकिन आज एक पल में यहां सबकुछ खत्‍म हो गया।

Joshimath Sinking: बड़े अरमानों से बनाया था बसेरा- रितु

ऐसी ही एक अन्‍य जोशीमठ निवासी रितु बतातीं हैं कि जिस घर को बनाने में पूरी उम्र गुजर गई। आज यहां लगे एक लाल निशान ने हमें बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। मैंने और मेरे पति ने बड़े की अरमानों से इसे बनाया था, सजाया था। इससे पहले हमारी कई पीढि़यां इसी जमीन पर पलीं, बढ़ीं।यह हमारे लिए घर ही नहीं बल्कि एक ऐसी मां है। जिसने समय के थपेड़े झेलते हुए हमें शरण दी। हमने यहां खेती की, खेले और आज यहां से दूर जाना पड़ रहा है।

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