Jharkhand Political Crisis: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी गठबंधन सरकार का राजनीतिक भाग्य खनन पट्टा आवंटित करने के आरोपों के बीच अधर में लटक गया है। झारखंड और दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में चुनाव आयोग द्वारा राज्यपाल रमेश बैस को एक सिफारिश भेजने की खबर थी कि सोरेन को राज्य विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया जाए। चुनाव आयोग के सूत्रों ने पुष्टि की है कि उनकी सिफारिश राज्यपाल के पास पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक बैस शनिवार को चुनाव आयोग को अयोग्यता आदेश भेज सकते हैं।
Jharkhand Political Crisis: BJP ने लगाया था आरोप
बीजेपी ने हेमंत सोरेन पर खुद को एक खनन पट्टा आवंटित करने का आरोप लगाया था और एक विधायक के रूप में उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की थी। ऐसी स्थिति में अब अगर हेमंत सोरेन सीएम पद से इस्तीफा दे देते हैं या फिर चुनाव आयोग उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा देता है तो राज्य को नया मुख्यमंत्री मिलेगा।

हालांकि, इस बीच झारखंड में मचे सियासी हलचल के दौरान अब वीकेंड पॉलिटिक्स भी शुरू हो गयी है। दरअसल, इस वक्त राजधानी रांची से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां सीएम हेमंत सोरेन के आवास पर सत्ता पक्ष के तमाम विधायक लगेज, बैग और खाने-पीने के सामान के साथ पहुंच रहे हैं। बताया जा रहा है कि सभी विधायकों को एकजुट रखने के लिए छत्तीसगढ़ ले जाया सकता है। हालांकि, सभी विधायक इस बात से फिलहाल इनकार कर रहे हैं।
Jharkhand Political Crisis: अब तक के घटनाक्रम पर नजर
- झारखंड में सत्तारूढ़ यूपीए गठबंधन के सदस्यों ने शुक्रवार को दूसरी बार सीएम आवास पर मुलाकात की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकार को कोई खतरा न हो।
- कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि विपक्षी भाजपा की ओर से अवैध शिकार की धमकी से बचने के लिए पार्टी के विधायकों को पश्चिम बंगाल या बिहार जैसे ‘मित्र राज्य’ में एक रिसॉर्ट में रखा जा सकता है। 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में झामुमो के 30 विधायक, कांग्रेस के 18 विधायक और राजद के एक विधायक हैं। सदन में बीजेपी के 26 विधायक हैं।
- इससे पहले, सोरेन ने एक जनसभा में कहा कि “शैतानी ताकतें” उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह चिंतित नहीं हैं क्योंकि उनके पास लोगों का जनादेश है, और वह अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे।

- झामुमो ने विश्वास जताया कि सोरेन 2024 तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाता है तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
- हेमंत सोरेन के खिलाफ खुद को खनन पट्टा देने के लिए शिकायत दर्ज की गई थी। मामले में याचिकाकर्ता भाजपा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 (ए) का उल्लंघन करने के लिए विधायक के रूप में सोरेन की अयोग्यता की मांग की है।
- इस मुद्दे को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस और उनके द्वारा चुनाव आयोग को भेजा गया था, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 192 में कहा गया है कि एक विधायक की अयोग्यता के बारे में फैसलों पर, सवाल राज्यपाल को भेजा जाएगा जो बदले में “चुनाव आयोग की राय प्राप्त करेंगे।
- सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग ने अयोग्यता की अपनी सिफारिश झारखंड के राज्यपाल को भेज दी है। गेंद अब राज्यपाल रमेश बैस के पाले में है। उन्हें एक अधिसूचना जारी करनी होगी, जिसके बाद अयोग्यता की कार्यवाही शुरू होगी।
- भाजपा पहले ही नए सिरे से चुनाव का आह्वान कर चुकी है और मुख्यमंत्री से “नैतिक आधार पर” इस्तीफा देने को कहा है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, “हेमंत सोरेन को नैतिक आधार पर मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ना चाहिए।”
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