दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि भाजपा के नेताओं ने हर समय बयान दिए कि पटाखे जलाने से कुछ नहीं होता है, यह धर्म और त्योहार का मामला है। अब सभी वैज्ञानिक कह रहे हैं कि पटाखों से प्रदूषण होता है। दो दिन पहले हवा की जो गुणवत्ता थी, वह आज नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘ दिल्ली में पिछले तीन दिनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इसके पीछे दो कारण है। एक तेजी से पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं। 3,500 जगहों पर पराली जलने की घटनाएं हो रही हैं। कुछ लोगों ने दीपावली पर जानबूझकर पटाखे जलाए जिसके कारण भी AQI स्तर बढ़ा है।’
इससे पहले बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में दीवाली के बाद प्रदूषण की स्थिति को लेकर सिर्फ त्योहार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दीवाली के पहले से ही दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब थी।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि दिल्ली की वायु की गुणवत्ता पटाखे जलाए जाने के दो दिन पहले से ही बहुत खराब थी। अब कुछ एनजीओ कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे। इसलिए कोर्ट को सावधानी से तथ्यों पर ध्यान देना होगा कि दीवाली प्रदूषण के लिए इकलौता कारक नहीं है।
पटाखों पर बैन के बावजूद दीवाली पर जमकर आतिशबाजी
बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन के बावजूद दीवाली पर जमकर आतिशबाजी हुई। जिसके बाद दिल्ली की वायु की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गयी। सुबह दिल्ली के जनपथ में प्रदूषण मीटर (पीएम) 2.5 की कंसंट्रेशन 655.07 थी। वहीं, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने का योगदान बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया जो इस मौसम का अब तक का सर्वाधिक स्तर है।
दिल्ली के आसमान में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। यहां कई लोगों ने गले में खुजली और आंखों में पानी आने की शिकायत की है। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी का पिछले 24 घंटे का औसत एक्यूआई गुरुवार को 382 पर पहुंच गया, जो बुधवार को 314 था।
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