देश में केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियम लागू हो गए हैं। केंद्र सरकार ने सोमवार को CAA को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है और ये कानून देशभर में लागू हो गया है। सीएए को लेकर नियम जारी होने के बाद बगैर दस्तावेज भारत आए प्रताडि़त सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया। गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि ये कानून किसी की नागरिकता को छीनने वाला नहीं है बल्कि यह कानून नागरिकता देने वाला है। सरकार ने नागरिकता के आवेदन के लिए पोर्टल भी तैयार किया है, प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों को सिर्फ इतना बताना होगा कि वह कब भारत आए। उनसे कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा और फिर गृह मंत्रालय की जांच के बाद नागरिकता दे दी जाएगी।
आपको बता दें, केंद्र सरकार ने 2019 में नागरिकता कानून में संशोधन किया था। इसके विरोध में देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए और इस विरोध में सबसे लंबा प्रदर्शन शाहीन बाग में हुआ था इसी प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में दंगे भी हुए थे।
इन देशों के नागरिकों को मिलेगा फायदा
नागरिकता संशोधन अधिनियम से सिर्फ तीन देशों के अल्पसंख्यकों को फायदा मिलेगा। जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक शामिल है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इसके अलावा किसी भी देश के नागरिक को भारत की नागरिकता नहीं मिलेगी।
भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश हैं। 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद लाखों लोग पाकिस्तान चले गए थे और इसमें खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को वहां प्रताड़ित किया जाता था। फिर इसके बाद जब ये लोग वापस भारत आए तो फिर ये कभी पाकिस्तान नहीं गए। CAA के तहत अब इन तीन देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलेगी और भारत में मिलने वाले सभी अधिकार उन्हें मिलेंगे।