By: सर्वजीत सोनी | Edited By: उमेश चंद्र
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले का भंडाफोड़ किया है। यह घोटाला किसानों की पहचान का दुरुपयोग कर ₹152.90 करोड़ के बैंक फ्रॉड से जुड़ा हुआ है। ईडी ने नागपुर, भंडारा (महाराष्ट्र) और गुंटूर (आंध्र प्रदेश) स्थित आठ ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान 10 लाख रुपये नकद, संपत्ति के कागजात, डिजिटल डिवाइस, भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए, साथ ही बैंक बैलेंस और बीमा पॉलिसी जैसे मूवेबल एसेट्स को फ्रीज कर दिया गया। एजेंसी ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्तियों की भी पहचान की है।
यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की गई। जांच का मुख्य निशाना रामाना राव बोल्ला, नूतन राकेश सिंह और उनके सहयोगी हैं। दोनों आरोपियों को पहले नागपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था और वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
किसानों से आधार व दस्तावेज लेकर रचा गया घोटाला
ईडी के अनुसार, आरोपियों ने किसानों को फसल मुआवजे की सरकारी योजना का लाभ दिलाने का झांसा दिया और उनसे आधार कार्ड व अन्य जरूरी दस्तावेज ले लिए। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हुए आरोपियों ने किसानों के नाम पर 212 बैंक खाते खोले और प्रत्येक खाते पर 49 से 50 लाख रुपये तक के ऋण स्वीकृत करवाए। यह रकम बाद में विभिन्न खातों में डायवर्ट कर दी गई, जिससे खाते डिफॉल्टर हो गए और बैंक को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
बैंक अधिकारियों की मिलीभगत
ईडी की जांच में सामने आया है कि इस घोटाले में बैंक अधिकारियों की भी सीधी मिलीभगत थी। रामाना राव बोल्ला ने कॉर्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक) की उमरखेड़ शाखा के तत्कालीन सहायक प्रबंधक संदीप रेवनाथ जांगले की मदद से 158 खाते खुलवाए और किसानों के नाम पर फर्जी तरीके से ऋण पास कराए। इस दौरान किसानों के हस्ताक्षर लिए गए और चेक स्वयं बोल्ला के पास रखे गए। बाद में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गोदामों में रखे अनाज के खिलाफ लोन लिया गया और रकम 24 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दी गई। इससे बैंक को करीब ₹113 करोड़ का नुकसान हुआ। दूसरी ओर, नूतन राकेश सिंह ने भी यही तरीका अपनाया और 54 किसानों के नाम पर 25.07 करोड़ रुपये के लोन पास कराए। सिंह ने खुद गारंटर बनकर रकम डायवर्ट कर दी, जिससे बैंक को ₹39.43 करोड़ का नुकसान हुआ।
2017 में सामने आया था घोटाला
यह घोटाला 2017 में सामने आया था जब कॉर्पोरेशन बैंक ने पाया कि किसानों के नाम पर जारी किए गए ऋण बकाया हो गए हैं और किसान खुद इस बारे में अनजान हैं। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस में एफआईआर दर्ज हुई और अब ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से मामले की जांच कर रही है। ईडी का कहना है कि अब तक की जांच में सामने आया है कि दोनों सिंडिकेट ने किसानों की पहचान और सरकारी योजनाओं का गलत फायदा उठाकर करोड़ों का घोटाला किया है। एजेंसी मामले की गहराई से जांच कर रही है और आगे और खुलासे होने की संभावना है।