हार के बाद पिच पर रार! जानें कैसे कंगारुओं के लिए मददगार साबित हुई अहमदाबाद की विकेट

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रविवार को खेले गए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल मुकाबले को लेकर हर कोई चर्चा कर रहा है। इस बीच सबसे अधिक जिस चीज पर बातचीत हो रही है वो है मैच की पिच। आइए आपको पिच से जुड़ी कुछ बातें डिटेल में समझाते हैं।

दरअसल पिच मैदान के बीच की वह पट्टी होती है जो दो विकेट के बीच में होती है। पिच 22 यार्ड लंबी और 10 फीट चौड़ी होती है। वैसे तो पिच की सतह पर घास हो सकती है या पिच सूखी हो सकती है। हालांकि कल जो मैच खेला गया वह पिच बिल्कुल सूखी थी। ये माना जा रहा था कि ये पिच स्पिन गेंदबाजी को मदद करेगी लेकिन ऐसा होते दिखा नहीं। कल के मुकाबले में 14 में से 11 विकेट तेज गेंदबाजों को मिले।

पिच को लेकर बहस क्यों

मान लीजिए कि अगर कोई पिच हरी है या उस पर नमी है तो उसे पहले गेंदबाजी के लिए सही माना जाता है। जैसे जैसे मैच आगे बढ़ता है पिच की नमी कम होने लगती है। सूखी पिच पर स्पिन गेंदबाजों को मदद मिलती है। पिच पर जितना खेला गया होगा वह उतनी स्पिन के अनुकूल होगी। पिच के हालात को देखते हुए कप्तान टॉस के दौरान बैटिंग या बॉलिंग चुनते हैं। लेकिन कल का मुकाबला डे नाइट मैच था। ऐसे में रात को पड़ने वाली ओस ने भी भूमिका निभाई। कल टॉस जीतना ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में रहा और उन्होंने पहले गेंदबाजी की।

स्लो पिच क्यों बनी भारतीय बल्लेबाजों के लिए परेशानी

जिस पिच पर गेंदबाज के गेंद फेंकने की स्पीड से कम स्पीड से बॉल पिच पर लगकर बल्लेबाज के पास आती है उसे स्लो पिच कहते हैं। ऐसी ही पिच फाइनल के मुकाबले के लिए रखी गयी थी। माना जा रहा था कि ऐसी पिच भारतीय टीम के पक्ष में तैयार की गयी थी लेकिन इसका नतीजा उल्टा रहा। हर देश अपनी टीम की खूबियों को ध्यान में रखते हुए पिच तैयार करता है। कल जब भारत के बल्लेबाज बैटिंग कर रहे थे तो गेंद नीचे रह रही थी जिसके चलते टाइमिंग सही नहीं बैठ रही थी।

वहीं जब ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में खेलने उतरी तो पिच पर ओस आने लगी थी और बल्लेबाजी आसान हो गई थी। पूरे टूर्नामेंट में अहमदाबाद की पिच पर जो टीम दूसरी बार बल्लेबाजी करने उतरी थी, उसे ही कामयाबी मिली।

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