पेरिस ओलंपिक:क्यों छिड़ पड़ी है जेंडर को लेकर बहस ?

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women boxing match gender debate
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पिछले साल जेंडर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास न कर सकी अल्जीरियाई मुक्केबाज ईमान खलीफ ने पेरिस ओलंपिक में 66 किलोग्राम महिला मुक्केबाजी वर्ग में अपनी इटैलियन प्रतिद्वंद्वी को 46 सेकंड में हरा दिया। हालांकि इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी इस मुकाबले से खुश नहीं हैं। उनके मुताबिक यह मुकाबला “बराबरी के स्तर का नहीं था”। इसके अलावा हैरी पॉटर की लेखिका जेके रॉलिंग ने मुकाबले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “बताइए कि आपको अपने मनोरंजन के लिए सार्वजनिक रूप से एक पुरुष द्वारा एक महिला को पीटने से कोई आपत्ति क्यों नहीं है।” दरअसल मुकाबले में हार के बाद इटली की एंजेला कैरिनी अपने घुटनों पर गिर गईं और रिंग के बीच में रोने लगीं और उन्होंने खलीफ से हाथ नहीं मिलाया।

इस मुकाबले को लेकर इटली की प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि जिन एथलीटों में पुरुष आनुवंशिक विशेषताएं हैं, उन्हें महिलाओं की प्रतियोगिताओं में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। और इसलिए नहीं कि आप किसी के साथ भेदभाव करना चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि महिला एथलीटों के समान शर्तों पर प्रतिस्पर्धा करने के अधिकार की रक्षा करनी है। समान आधार पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होना भी मायने रखता है और मेरे दृष्टिकोण से यह एक समान प्रतियोगिता नहीं थी।”

वैसे तो एक मुक्केबाजी राउंड 3 मिनट तक चलता है और कुल तीन राउंड होते हैं, लेकिन अल्जीरियाई मुक्केबाज ने दो जोरदार मुक्के मारे, जिससे कैरिनी मात्र 46 सेकंड में ही बाहर हो गईं। नाक पर चोट लगने के बाद कैरिनी खड़ी नहीं हो पाई और खून बहने लगा। कैरिनी ने कहा,”मेरी नाक में बहुत दर्द हो रहा है और मैंने कहा, ‘रुको’। आगे नहीं बढ़ना ही बेहतर है। पहली ही चोट से मेरी नाक से खून टपकने लगा था।”

आखिर यह विवाद है क्या?

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के लिए जेंडर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास न कर सकने वाली दो मुक्केबाजों को 2024 पेरिस ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने के लिए अनुमति दी है। पिछले साल, अल्जीरियाई मुक्केबाज को दिल्ली में महिला विश्व चैंपियनशिप में मैच से कुछ घंटे पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अल्जीरियाई मीडिया के मुताबिक खलीफ को उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के उच्च स्तर के कारण अयोग्य घोषित किया गया था। वहीं ताइवान की दो बार की विश्व चैंपियन लिन यू-टिंग भी टेस्ट पास नहीं कर सकी थीं।

एमेच्योर बॉक्सिंग के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव के मुताबिक,”दोनों मुक्केबाजों के डीएनए टेस्ट से पता चला है कि उनमें XY क्रोमोजोम हैं और इसलिए उन्हें बाहर रखा गया।” XY पुरुष क्रोमोजोम हैं और XX महिला। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत रीम अलसलेम ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि “एंजेला कैरिनी ने अपनी शारीरिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी, लेकिन उन्हें और अन्य महिला एथलीटों को उनके लिंग के आधार पर इस शारीरिक और मनोवैज्ञानिक हिंसा का सामना नहीं करना चाहिए था।”

बता दें कि विश्व चैंपियनशिप का आयोजन अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (IBA) द्वारा किया गया था और वित्तीय पारदर्शिता के कारण अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा इसे मान्यता नहीं दी गई थी। IOC ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ में पुरस्कार राशि का स्रोत अस्पष्ट था और यही कारण है कि उन्होंने IBA की मान्यता वापस ले ली। IOC ने कहा, “IBA अपने फंड के स्रोतों को पारदर्शी रूप से स्पष्ट करने के लिए तैयार नहीं था।” पेरिस ओलंपिक में मुक्केबाजी प्रतियोगिता का आयोजन पेरिस मुक्केबाजी इकाई (PBU) द्वारा किया जा रहा है, जो IOC के कार्यकारी बोर्ड की एक इकाई है। आईओसी के प्रवक्ता मार्क एडम्स ने कहा, “महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने वाली सभी प्रतिभागी प्रतियोगिता पात्रता नियमों का पालन कर रही हैं।”

जैसा कि उम्मीद थी, अल्जीरियाई और ताइवानी मुक्केबाजों को उनके देशों से समर्थन मिला है। ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने कहा, “यू-टिंग के प्रदर्शन ने कई ताइवानी खिलाड़ियों को प्रेरित किया है और ताइवानी लोगों को एकजुट किया है। अब जब वह एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हैं, तो हमें एकजुट होकर उनका उत्साहवर्धन करना चाहिए।” अल्जीरिया की ओलंपिक समिति ने इसे “कुछ विदेशी मीडिया द्वारा हमारे प्रतिष्ठित एथलीट ईमान खलीफ के खिलाफ निर्देशित दुर्भावनापूर्ण और अनैतिक हमला” बताया।

IBA ने एक बयान में स्पष्ट किया कि खलीफ ने शुरू में IBA के फैसले के खिलाफ कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की थी, लेकिन बाद में प्रक्रिया के दौरान इसे वापस ले लिया, जिससे उनका फैसला कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया। हालांकि, लिन यू-टिंग ने फैसले के खिलाफ अपील नहीं की, जिससे यह कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया।

आईबीए ने कहा, “इन मामलों पर आईओसी के अलग-अलग नियम, जिनमें आईबीए शामिल नहीं है, प्रतिस्पर्धात्मक निष्पक्षता और एथलीटों की सुरक्षा दोनों के बारे में गंभीर सवाल उठाते हैं। आईओसी प्रतिस्पर्धात्मक लाभ वाले एथलीटों को अपने आयोजनों में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति क्यों देता है, इस पर स्पष्टीकरण के लिए हम इच्छुक पक्षों से सीधे आईओसी से जवाब मांगने का आग्रह करते हैं।”