आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति बालाजी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में काफी मशहूर है। यह मंदिर धार्मिक विरासत में सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। लोग यहां पर अपनी इच्छा लेकर जाते हैं। मनोकामना पुरी होने के बाद बालाजी को अपना बाल, सोना आदि चीजे चढ़ाते हैं।
यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का एक नायाब नमूना है। इस मंदिर का निर्माण दक्षिण द्रविड़ शैली में किया गया है। मंदिर का मुख्य भाग यानी अनंदा निलियम देखने में काफी आकर्षक है। अनंदा निलियम में भगवान श्री वेंकटेश्वर की सात फुट ऊंची प्रतिमा विराजमान है।
जिसका मुख पूर्व की तरफ बना हुआ है। गर्भ गृह के ऊपर का गोपुरम पूरी तरह से सोने की प्लेट से ढका हुआ है। मंदिर के तीनों परकोटों पर स्वर्ण कलश लगे हुए हैं। मंदिर के मुख्य द्वार को पड़ी कवाली महाद्वार भी कहा जाता है। जिसका एक चर्तुभुज आधार है।
मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा करनेके लिए एक परिक्रमा पथ भी है, जिसे संपांगी मंडपम, सलुवा नरसिम्हा मंडपम, प्रतिमा मंडपम, ध्वजस्तंब मंडपम, तिरुमाला राया मंडपम और आइना महल समेत कई बेहद सुंदर मंडप भी बने हुए हैं।