9 मई को होने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि आती है, जो शिव जी को समर्पित होती है। इस दिन व्रत रखने से धार्मिक मान्यता के अनुसार, हर व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। खासकर शुक्रवार को होने वाला शुक्र प्रदोष व्रत धन प्राप्ति के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है।
9 मई को कौन सा व्रत है?
इस साल 9 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि होगी, जिस दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से धन की प्राप्ति और जीवन में समृद्धि लाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन का विशेष मुहूर्त और पूजा विधि इस प्रकार है:
- वैशाख शुक्ल त्रयोदशी तिथि शुरू: 9 मई 2025, दोपहर 2.56
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 10 मई 2025, शाम 5.29
- पूजा मुहूर्त: रात 7.01 – रात 9.08
धन प्राप्ति के लिए क्या करें?
धन-संपत्ति में वृद्धि के लिए प्रदोष व्रत के दिन सवा किलो चावल और दूध लेकर भगवान शिव के मंदिर में दान करें। ध्यान रहे कि चावल का कोई भी खंडित या टूटा हुआ भाग न हो। इस उपाय को करने से घर में धन की वृद्धि होगी और आय के नए रास्ते खुलेंगे।
प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा:
कहा जाता है कि एक समय एक गरीब पुजारी की विधवा पत्नी थी, जिनके पास केवल उनका बेटा था। दोनों भिक्षाटन करते हुए अपना जीवन यापन करते थे। एक दिन उनकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई, जो अपने पिता की मृत्यु के बाद दर-दर भटक रहा था। राजकुमार की दयनीय स्थिति को देख पुजारी की पत्नी ने उसे अपने घर बुलाया। कुछ समय बाद, पुजारी की पत्नी, अपने दोनों बेटों के साथ ऋषि शांडिल्य के आश्रम गईं, जहां उन्हें भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत के बारे में सुना और फिर उन्होंने यह व्रत रखने का निर्णय लिया।
एक दिन, पुजारी का बेटा घर लौट आया, लेकिन राजकुमार गंधर्व कन्याओं को देखने के लिए रुक गए। इसी दौरान उन्होंने अंशुमती राजकुमारी से बात की, और बाद में राजकुमार को अंशुमती के माता-पिता ने विवाह का प्रस्ताव दिया। इस विवाह के बाद, राजकुमार ने विदर्भ पर हमला किया और वहां विजय प्राप्त की, जिसके बाद वह राजकुमार विदर्भ के राजा बन गए। वह पुजारी की पत्नी और उनके बेटे को भी अपने महल में ले आए, जिससे उनकी कठिनाइयों का अंत हुआ और वे सुख-शांति से जीवन व्यतीत करने लगे।
यह कथा इस बात को प्रमाणित करती है कि प्रदोष व्रत से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं और भगवान शिव की कृपा से जीवन में समृद्धि आती है। इस दिन जो लोग व्रत रखते हुए इस कथा का पाठ या श्रवण करते हैं, उनके कष्ट समाप्त हो जाते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
( Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इसकी पुष्टि नहीं करता है। )