Saphala Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में सफला एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है। इस साल 19 दिसंबर को सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी इस साल की अंतिम एकादशी है। भगवान विष्णु को समर्पित इस दिन को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है।
मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। घर में धन-धान्य और सुख समृद्धि आती है। इस दिन कई ऐसे नियम होते हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। इस दिन ऐसे बहुत से कार्य होते हैं जिन्हें नहीं किया जाता, अगर ऐसा करते हैं तो ये व्रत सफल नहीं होता है।
Saphala Ekadashi 2022: जानें तिथि और समय
सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022 को 3:32 AM से शुरू होकर 20 दिसंबर 2022 2:32 AM को समाप्त होगा।
Saphala Ekadashi 2022: सफला एकादशी का महत्व
माना जाता है कि सफला एकादशी सुख, सफलता और समृद्धि के लिए रखा जाता है। सफला का अर्थ है समृद्ध होना। विष्णु भगवान की पूजा करने वाले लोग इस व्रत को बड़े ही धूमधाम से मानते हैं। लोग पूरे विधि विधान से इस दिन पूजा करते हैं और भगवान के लिए भजन गाते हैं। इस दिन अन्नदान और दान पुण्य का काम करना बेहद शुभ माना जाता है।
Saphala Ekadashi 2022: भूलकर भी व्रत के दिन न करें ये काम
- शास्त्रों के अनुसार हर त्योहार और व्रत के लिए अपने अलग नियम और पूजा के विधि-विधान है। जिनका सही से उपयोग करना बहुत जरूरी माना गया है। एकादशी व्रत के दिन नाखून और बाल काटना वर्जित है और ये अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि एकादशी के दिन बाल काटने, धोने और दाढ़ी काटने से धन की हानि होती है। इससे ग्रह दोष भी लगता है इसलिए एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को भूलकर इस दिन ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसे करने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं और घर से शांति चली जाती है।
- सफला एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगानी चाहिए। ऐसे करने से व्रत सफल नहीं होता और आपको पुण्य नहीं मिलता। माना जाता है झाडू लगाने से छोटे जीवों की हत्या का पाप लगता है।
- एकादशी का व्रत करने वालों को सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए और नहा धोकर पूरे दिन भगवान का ध्यान करना चाहिए। सफला एकादशी के दिन दोपहर में नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने पर व्रत का फल नहीं मिलता।
- एकादशी के दिन कभी भी गुस्सा नहीं करना चाहिए और न ही किसी से अभद्रता करनी चाहिए। अपने व्यवहार में नर्मी लाए और पूरे दिन अपने छोटों और बड़ों से आदर से प्यार से बात करें। भूलकर भी इस दिन किसी का अपमान न करे वरना व्रत का फल आपको नहीं मिलेगा।
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