Poornagiri Dham: आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा और अर्चना का बहुत महत्व होता है।हमारे देश में कई बड़े शक्तिपीठ हैं। माता पूर्णागिरी का शक्तिपीठ भी उन्हीं में से एक है। देवी का ये मंदिर उत्तरखंड राज्य के टनकपुर शहर में स्थित है। यहां देवी महाकाली के स्वरूप की पूजा होती है। कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु के चक्र से कट कर माता सती का नाभि भाग गिरा था। इसलिए यह स्थान 108 सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है। पूर्णागिरी को पुण्यगिरी के नाम से भी जाना जाता है।
समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई 3,000 मीटर, यानी करीब 9,843 फीट है। देवी पूर्णागिरी नेपाल की सीमा पर बसे चंपावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित है। इसके अलावा यहां मंदिर के पास ही से पौराणिक युग की पवित्र शारदा नदी भी बहती है जो गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी के रूप में है।

Poornagiri Dham: प्रकृति प्रेमियों के लिए खास

Poornagiri Dham: यह संपूर्ण टनकपुर क्षेत्र पर्यटन और प्रकृति प्रेमियों के लिए हमेशा ही आकर्षण का केंद्र रहता है।इसलिए अगर आप भी यहां दर्शन करने जाते हैं तो आपकी यह यात्रा धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा होने के साथ-साथ बहुत ही कम खर्च में की जाने वाली एक पर्यटन और सैर-सपाटे वाली यात्रा भी हो सकती है।
जम्मू में स्थित माता वैष्णो देवी की ही भांति माता पूर्णागिरि का यह मंदिर भी सभी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।उत्तराखंड के पूर्वी पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ को मिनी कश्मीर के रूप में जाना जाता है। इसलिए पिथौरागढ़ जाने वाले अधिकतर सैलानी इसी सड़क मार्ग से होकर जाते हैं।यहां चंपावत में स्थित चंद शासकों के किलों और मंदिरों के अवशेषों को भी वे देखना नहीं भूलते।
Poornagiri Dham: इसी शहर में स्थित बालेश्वर और रत्नेश्वर मंदिरों की आकर्षक और खूबसूरत नक्काशी पर्यटकों को लुभाती है।टनकपुर स्थित मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ की उत्तर भारत में काफी मान्यता है। यह मंदिर नेपाल से निकलने वाली काली नदी के किनारे अन्नपूर्णा चोटी पर स्थित है।
माता का यह प्रसिद्ध मंदिर समुद्र तल से 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसे में मां के दर्शन के लिए लोगों को कठिन चढ़ाई कर चोटी पर पहुंचना होता है। होली के अगले दिन से मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ में मेला लगता है।इस दौरान पूरे उत्तर भारत से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
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