Pitra Paksha 2022: अगले सप्ताह से श्राद्ध यानी पितृपक्ष शुरू होने वाले हैं। ये वे दिन होते हैं जब कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों और पितरों के निमित्त अनुष्ठान, दान-धर्म और पूजन करता है।मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में पित्तरों के निमित्त किया गया हर काम उनकी आत्मा को शांति देता है। उनका शुभाशीष भी हमारे ऊपर सदैव बना रहता है।चूंकि श्राद्ध के इन 15 दिन पित्तरों मृत्युलोक में विचरण करते हैं ऐसे में बेहद जरूरी है कि हम शांतिपूर्वक और पूरे विधिविधान के साथ हर नियम का पालन करें।
श्राद्ध पूजन के उपरांत कौवों को भोजन करवाना बेहद शुभ माना जाता है। हम सभी के मन ये सवाल जरूर उठता है कि आखिर कौवे को ही क्यों चुना गया है? आइए जानते हैं इसकी वजह और श्राद्ध से जुड़ी बहुत सी बातें।
Pitra Paksha 2022: कौवे का आना और भोजन ग्रहण करना शुभ
गरुड़ पुराण के अनुसार कौवा यमराज का संदेश वाहक है। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, पूजन अनुष्ठान करते हैं और अन्न जल का भोग कौए के माध्यम से लगाते हैं। कहा जाता है कि कौआ यम का यानी यमराज का प्रतीक होता है। कौए को भोजन कराना अपने पितरों तक भोजन पहुंचाने के समान है।दरअसल कौवे का आना और भोजन ग्रहण करना शुभ प्रतीक माना जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार कौवा यमराज का संदेश वाहक है। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, पूजन अनुष्ठान करते हैं और अन्न जल का भोग कौए के माध्यम से लगाते हैं। कहा जाता है कि कौआ यम का यानी यमराज का प्रतीक होता है। कौए को भोजन कराना अपने पितरों तक भोजन पहुंचाने के समान है।दरअसल कौवे का आना और भोजन ग्रहण करना शुभ प्रतीक माना जाता है।
मान्यता है कि कौवे को निवाला दिए बिना पितृ संतुष्ट नहीं होते। इसीलिए पितृपक्ष में हर परिवार अपने पितरों को खुश करने का भरपूर प्रयास करते हैं। जिससे पितर उनके परिवार से खुश होकर उन्हें सफलता का आशीर्वाद दें।
अक्सर ये देखने में आया है कि हमारे घरों के आस-पास कौए नहीं मिलते। ऐसे में किसी अन्य जानवर जैसे कुत्ते और गाय के लिए भी थाली निकाली जा सकती है। गरुड़ पुराण में पितृपक्ष के दौरान कौए को भोजन कराना सबसे उत्तम माना गया है।कौए का श्राद्ध पक्ष के दौरान इतना अधिक महत्व होने की एक खास वजह है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार यमराज ने कौए को वरदान दिया था कि तुम्हें दिया गया भोजन पूर्वजों की आत्मा को शांति देगा। तब से ही यह प्रथा चली आ रही है।
Pitra Paksha 2022: कई संकेत देता है कौवा
हमारे शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान जब पितर कौवों के रूप में भोजन करने आते हैं। इस दौरान वे कई तरह के संकेत हमें देने का प्रयास करते हैं। जिससे भविष्य की आहट मिलती है। वे हमारी जिंदगी में आने वाले शुभ और अशुभ से फलों से भी हमें सावधान भी करवाते हैं।
Pitra Paksha 2022: श्राद्ध में कौवों को भोजन करवाने की कथा का संबंध श्रीराम जी से भी है
पितृ पक्ष में कौवे को भोजन करवाने की प्रथा और कथा श्रीराम जी के युग यानी त्रेता युग से भी जुड़ी हुई है। श्रीराम, माता सीता और भैया लक्ष्मण के साथ वन प्रवास पर थे। इस दौरान इंद्र पुत्र जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारी।
तब भगवान श्रीराम ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी। जब उसने इस कृत्य के लिए क्षमायाचना की तो श्रीराम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हे अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा। ऐसी मान्यता है कि तभी से श्राद्ध में कौओं को भोजन कराने की पररंपरा चली आ रही है।
Pitra Paksha 2022: अतृप्तता का प्रतीक माना जाता है कौवे को
कौवे की मृत्यु आकस्मित रूप से होती है, इसलिए कौवा अतृप्तता का प्रतीक माना जाता है।पितर की तृप्ति के लिए एक अतृप्त को भोजन कराकर उसे तृप्त किया जाता है। इसलिए भी कौवे का श्राद्ध पक्ष में बहुत महत्व होता है।इसके अलावा कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रय माना जाता है।
हिंदू धर्म के पुराणों में इस बात का वर्णन है कि कौवे ने अमृत चख लिया था इसलिए मान्यता के अनुसार इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है।
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