Nirjala Ekadashi 2022:शास्त्रों में वर्णित है कि निर्जला एकादशी का सभी एकादशियों में बड़ा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है। इसे पांडव एकादशी और भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने वाले को दीर्घायु के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
इसी एकादशी से जुड़ी ऐसी कथा मिलती है कि पांडवों में भीमसेन जिनके पेट में वृक नामक अग्नि होने से वह बिना भोजन के नहीं रह सकते थे, उन्होंने भी जब एकादशी के महत्व को जाना तो इस एकादशी का व्रत किया था। इसलिए इस एकादशी को भीमा एकादशी भी कहते हैं। पद्म पुराण में बताया गया है कि एकादशी के दिन जो भी दान, धर्म, हवन और पूजन किया जाता है उसका फल अक्षय होता है।

Nirjala Ekadashi 2022: शीतलता प्रदान करने के लिए दान दें फल और मटका

निर्जला एकादशी का नाम आते ही दिमाग में मटके और फल की तस्वीरें दिखने लगती हैं। क्योंकि ये माह ज्येष्ठ यानी गर्मी का है।ऐसे में शीतलता प्रदान करने वाले फल मसलन आम, खरबूज, तरबूज, खीरा आदि का दान करें। आप मंदिर अथवा किसी अन्य को दे सकते हैं। सभी वस्तुएं शीतलता प्रदान करने वाली हैं।
Nirjala Ekadashi 2022: जूते दान करना भी है लाभदायक
शास्त्रों में बताया जाता है कि इस दिन सुयोग्य ब्राह्मण को जूते दान देना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन जूते दान करने वाला व्यक्ति सोने के विमान में बैठकर स्वर्ग लोक को जाता है। इसके व्रत में अन्न दान करने का, छाता दान करने का, बिस्तर दान करने और वस्त्र दान करने का महत्व बताया गया है।
निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को परम पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही गुड़ और चने का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन जूते, छाता और पंखा करना शुभ माना जाता है।
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