Navratri 2024: कल से शुरू शारदीय नवरात्रि, जान लें घट-स्थापना मुहूर्त और अखंड ज्योति से जुड़े नियम

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मां दुर्गा की उपासना का पावन त्योहार शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक मां अंबे की विधि विधान से पूजा की जाती है
मां दुर्गा की उपासना का पावन त्योहार शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक मां अंबे की विधि विधान से पूजा की जाती है

मां दुर्गा की उपासना का पावन त्योहार शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक मां अंबे की विधि विधान से पूजा की जाती है और फिर दसवें दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। हिन्दू परंपरा के अनुसार, दुर्गा पूजा की शुरुआत घट-स्थापना या कलश स्थापना से होती है। नवरात्रि पर माता रानी के लिए अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। चलिए आपको बताते हैं पहला नवरात्र कब पड़ रहा है और इस दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

पूजा सामग्री लिस्ट

  • माता की तस्वीर या मूर्ति
  • कलश और सिक्का
  • गेहूं या अक्षत
  • कुमकुम, आम के पत्ते का पल्लव, जटा वाला नारियल
  • चौकी के लिए लाल कपड़ा, गेहूं या जौ, साफ चावल, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी या तेल
  • लौंग, कपूर, बताशे

शुभ मुहूर्त

  • शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 3 अक्टूबर की सुबह 06:15 से 07:22 बजे तक रहेगा।
  • घटस्थापना अभिजित मुहूर्त सुबह 11:46 से 12:33 बजे तक रहेगा।
  • यदि किसी कारणवश 1 घण्टा 2 मिनट की यह अवधि साधक चूक जाते हैं, तो घट-स्थापना अभिजित मुहूर्त में 12:03 PM से 12:51 PM के बीच भी की जा सकती है।

नवरात्रि के मंत्र

-या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।
-ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।
-प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥
-वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌।।

अखंड ज्योति के नियम

  • नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने का विशेष महत्व है।
  • मंदिर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थापित करना चाहिए।
  • नवरात्रि में जगतजननी मां दुर्गा और उनके 9 रूपों की पूजा के साथ-साथ अखंड ज्योति की पूजा करनी चाहिए।
  • हिन्दू धर्म में अखंड ज्योति को देवी मां का प्रतीक माना जाता है।
  • घर में अगर अखंड ज्योति स्थापित होती है तो उस घर को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
  • अखंड ज्योति की पवित्रता को बनाए रखने के लिए घर में भूल कर भी तामसिक भोजन नहीं बनना चाहिए।
  • अखंड ज्योति स्थापित करते हैं, उन्हें बहुत सजग रहना चाहिए। उन्हें ज्योति की जांच करते रहनी चाहिए, ताकि उसमें तेल और बाती की कोई दिक्कत न हो, हवा आदि से सुरक्षा हो और किसी भी सूरत में यह बुझनी नहीं चाहिए।
  • अखंड ज्योति को अंधकार पर प्रकाश की जीत और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। यह सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानी गई है, जो वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है। APNNews इसकी पुष्टि नहीं करता है।