Navratri 2022: हमारा देश विविधताओं में एकता वाला देश है। उत्तर हो या दक्षिण हर जगह की मान्यताएं और संस्कृति जरा हटके होती हैं।शारदीय नवरात्रि के मौके पर दक्षिण भारत में एक खास प्रकार का आयोजन होता है।ऐसी मान्यता है कि जिस दिन मां दुर्गा ने 9 दिनों की तपस्या के बाद महिषासुर का वध किया था।इसी खुशी में कर्नाटक के मैसूर में मनाया जाने वाला नवरात्रि उत्सव विश्व प्रसिद्ध है।
इस नवरात्रि पर घरों में गुड़िया रखने की अनूठी परंपरा भी है।जोकि तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले के कुलसेकरनपट्टनम में खास तरीके से मनाई जाती है।यहां नवरात्रि उत्सव बेहद खास तरीके से मनाया जाता है।नवरात्रि पर्व की मुख्य विशेषता गोलू गुड़िया को घर में रखना है। लोगों के लिए अमावस्या के दिन पूजा करने और अगले दिन से गोलू गुड़िया अपने घरों में रखने की प्रथा यहां प्रचलित है।

Navratri 2022: जमकर होती है गोलू गुड़िया की बिक्री
शारदीय नवरात्रि शुरू होने से पूर्व ही तमिलनाडु के बाजारों में गोलू गुड़िया की बिक्री शुरू हो जाती है।स्थानीय निवासी गोलू मरियप्पन के अनुसार लोग अपने घरों में सिर्फ 3 गुड़िया भी रख सकते हैं। त्यागराजनगर, नेल्लई की रहने वाले मरियप्पन सरकारी कृषि विभाग में कार्यरत हैं। उन्हें गोलू मरियप्पन के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वह पिछले 47 सालों से अपने घर में गोलू कठपुतली की पूजा कर रहे हैं। उनके अनुसार वे पहले केवल 3 गुड़िया रखते थे और गोलू मनाते थे।इसके 47 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हमने 9 कमरों में 5000 गोलू गुड़िया रखी हैं।
मरियप्पन गोलू गुड़िया के लिए कई अवॉर्ड भी जीत चुके हैं।जानकारी के अनुसार केवल नवरात्रि के दिनों में ही देवी हमारे घर आती हैं और कृपा बरसातीं हैं। इसलिए जो लोग गोलू गुड़िया रखना चाहते हैं, वे सिर्फ गोलू कदम खरीदते हैं। लक्ष्मी, पिल्लैयार और सरस्वती की केवल 3 गुड़िया के साथ पूजा करते हैं।
Navratri 2022: जानिए क्या होती है 9 सीढ़ियों की ‘पड़ी’ ?

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में अमावस्या को अंतिम श्राद्ध तर्पण के बाद शुभ समय देखकर 9 सीढ़ियों का एक विशेष मंच तैयार किया जाता है। दरअसल ये 9 सीढ़ियां अगले 9 दिन के त्योहार का प्रतीक हैं। ये लकड़ी की बनी फोल्डिंग होती हैं। इसे गोलू पड़ी कहा जाता है।
गोलू यानी जो मूर्तियां, गुड्डे-गुड़िया आदि इस पर सजाए जाते हैं तथा पड़ी यानी चढ़ाव। इस मंच के नीचे और आसपास चावल के आटे के घोल से अल्पना यानी रंगोली बनाई जाती है। गेरू मिट्टी के घोल से इस अल्पना को सजाकर उभार दिया जाता है। गोलू की सामग्री में आजकल देश-विदेश से लाए गए वे खिलौने भी रखे जाते हैं, जिन्हें वर्षों से इकट्ठा किया जाता है।
Navratri 2022: कलश स्थापना से होती है शुरुआत

गोलू- गुड़िया की सबसे ऊपर की सीढ़ी या चढ़ाव पर बीच में एक खाली जगह छोड़ी जाती है। जहां पर नवरात्रि के प्रथम दिन कलश में शुद्ध जल भरकर आम के पत्तों के गुच्छे और उस पर नारियल रख कलश स्थापना की जाती है। बड़े-बड़े ऊंचे दीपक जलाकर उसके आसपास रंगोली और फूलों की सजावट की जाती है।
इसके बाद नियम से रोजाना सुबह-शाम पूजा-अर्चना होती है। प्रथम 3 दिन दुर्गा माता की पूजा, अगले 3 दिन लक्ष्मीजी की तथा अंतिम 3 सरस्वती देवी की पूजा होती है। 9वें दिन खास सरस्वती नवमी मनाई जाती है।
इसी मंच के आगे लकड़ी के पटरे पर रंगोली से सजाकर ग्रंथ, बच्चों की पढ़ाई की पुस्तकें, कलम आदि शिक्षा संबंधित चीजों को रखा जाता है। जो संगीत की शिक्षा ले रहा हो वह अपना वाद्य यंत्र भी रखता है। वहीं पेंटिंग करने वाले अपनी कूची, यानी अपने कार्य के हिसाब से काम आने वाले सामान रखते हैं। इसे आयुध् पूजा भी कहा जाता है। इसके बाद पूजा की जाती है।
Navratri 2022: विशेष पाठ और खीर का लगता है भोग
दक्षिण भारत में इन 9 दिनों में ललिता सहस्त्रनाम का पाठ, महिषासुर मर्दिनी श्लोक और देवी महात्म्य आदि घरों में और मंदिरों में भी होते रहते हैं। इसी क्रम में एक प्रकार की खीर और 1 व्यंजन का भोग लगता है।
चुंडल या सुंडल का भोग लगाकर हल्दी-कुंकू में और प्रसाद के तौर पर भी वितरण किया जाता है। सुंडल साबूत देशी या काबुली चने होत हैं, साबूत मूंग, बरबटी के दाने या चने की दाल का बना होता है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि इस ऋतु में मौसम बदलता है। ऐसा माना जाता है कि शरीर को प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
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